Special Story

भाजपा विधायक ईश्वर साहू ने सुप्रीम कोर्ट पर की अभद्र टिप्पणी ! फेसबुक पोस्ट वायरल होते ही दी सफाई…

भाजपा विधायक ईश्वर साहू ने सुप्रीम कोर्ट पर की अभद्र टिप्पणी ! फेसबुक पोस्ट वायरल होते ही दी सफाई…

ShivApr 19, 20252 min read

रायपुर।   सुप्रीम कोर्ट पर अभद्र टिप्पणी करके भाजपा विधायक ईश्वर…

राजधानी में कारोबारी के अपहरण की अफवाह से मचा हड़कंप, निकला धोखाधड़ी का फरार आरोपी

राजधानी में कारोबारी के अपहरण की अफवाह से मचा हड़कंप, निकला धोखाधड़ी का फरार आरोपी

ShivApr 19, 20251 min read

रायपुर। ओडिशा के झारसुगुड़ा में दर्ज धोखाधड़ी के एक मामले…

इंस्टा की रील ने बुझाए दो घरों के चिराग, सड़क हादसे में दो नाबालिगों की मौके पर हुई मौत…

इंस्टा की रील ने बुझाए दो घरों के चिराग, सड़क हादसे में दो नाबालिगों की मौके पर हुई मौत…

ShivApr 19, 20251 min read

दुर्ग। इंस्टाग्राम के लिए रील बनाते समय नाबालिगों की बाइक दूसरे…

April 19, 2025

Apni Sarkaar

जो कहेंगे सच कहेंगे

छत्तीसगढ़ पंचायती राज संशोधन को हाईकोर्ट में चुनौती: मामले में दोनों पक्षों ने रखा तर्क, 27 जनवरी को होगी अगली सुनवाई

बिलासपुर। पंचायती राज अधिनियम में संशोधन को चुनौती देने वाली याचिका पर सोमवार को मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायाधीश रविंद्र कुमार अग्रवाल की बेंच में सुनवाई हुई। मामले में दोनों पक्षों ने तर्क रखा, अब मामले की सुनवाई 27 जनवरी को होगी।

बता दें कि याचिकाकर्ता नरेश रजवाड़े ने अपने अधिवक्ता शक्तिराज सिन्हा द्वारा लगाई अपनी याचिका में कहा कि राज्य सरकार बीते वर्ष 3 दिसंबर 2024 को छत्तीसगढ़ पंचायत राज (संशोधन) अध्यादेश -2024 ला चुकी है। जिसमें ओबीसी वर्ग को आरक्षण प्रदान करने वाली छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम की धारा 129(ड.) की उपधारा (03) को विलोपित कर दिया है।

याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में बताया कि अध्यादेश जारी होने के बाद छत्तीसगढ़ विधानसभा के 16 जनवरी से 20 जनवरी 2024 तक के सत्र में इस महत्वपूर्ण अध्यादेश को पारित नहीं कराया गया है, केवल इसे विधानसभा के पटल पर रखा गया है, जिसके कारण यह अध्यादेश वर्तमान में विधि-शून्य और औचित्यहीन हो गया है।

वहीं राज्य शासन की ओर से पैरवी करते हुए महाधिवक्ता प्रफुल्ल एन भारत ने कहा 3 दिसंबर 2024 को अध्यादेश लाया गया था। वहीं 16 दिसंबर से 20 दिसंबर 2024 को विधानसभा की बैठक में रखा गया। इस अध्यादेश को पारित होने को लेकर अनुच्छेद 213(2) के तहत राज्यपाल से सहमति है। वहीं संवैधानिक रूप से 6 सप्ताह का समय है। जो 27 जनवरी 2025 को पूरा होगा।

इस मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता शक्ति राज सिन्हा ने कैबिनेट की पूर्व बैठक में सार्वजनिक किए एक निर्णय पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि इसमें आरक्षण संबंधी संशोधन अध्यादेश को 6 महीने आगे बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। वहीं नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव के नोटिफिकेशन जारी होने के याचिका पर प्रभाव की बात भी कही। जिस पर हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों को गंभीरता से सुना और अपने आदेश में शामिल किया है। वहीं शासन के अधिवक्ता के अध्यादेश को लेकर तर्क को सुनते हुए संवैधानिक रूप से 6 सप्ताह का समय 27 जनवरी को पूरा होने पर उसी दिन सुनवाई तय की गई है।