Special Story

छत्तीसगढ़ को ‘प्रकृति परीक्षण अभियान’ में राष्ट्रीय सम्मान: मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने दी बधाई

छत्तीसगढ़ को ‘प्रकृति परीक्षण अभियान’ में राष्ट्रीय सम्मान: मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने दी बधाई

ShivFeb 25, 20252 min read

रायपुर।    छत्तीसगढ़ ने भारतीय चिकित्सा पद्धति राष्ट्रीय आयोग, नई…

भारत के विकास को गति दे रहा है मध्यप्रदेश : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह

भारत के विकास को गति दे रहा है मध्यप्रदेश : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह

ShivFeb 25, 20257 min read

भोपाल।      केन्द्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह…

सिविल लाइन रायपुर में क्रिश्चियन समुदाय के साथ शांति समिति की बैठक हुई आयोजित

सिविल लाइन रायपुर में क्रिश्चियन समुदाय के साथ शांति समिति की बैठक हुई आयोजित

ShivFeb 25, 20253 min read

रायपुर।  पुलिस उपमहानिरीक्षक एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रायपुर डॉ. लाल उमेद…

February 25, 2025

Apni Sarkaar

जो कहेंगे सच कहेंगे

छत्तीसगढ़ शराब घोटाला: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पूर्व IAS टुटेजा और अनवर ढेबर के खिलाफ कार्यवाही रद्द करने से किया इंकार

रायपुर। छत्तीसगढ़ के चर्चित शराब घोटाले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए छत्तीसगढ़ के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी अनिल टूटेजा, रायपुर के महापौर के भाई अनवर ढेबर और अन्य दो के खिलाफ उत्तर प्रदेश में चल रही आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने से इंकार कर दिया है। जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया, जिसे टूटेजा और उनके साथियों के लिए एक बड़ी कानूनी शिकस्त के रूप में देखा जा रहा है।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने इस घोटाले से जुड़े प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दायर मनी लॉन्ड्रिंग मामले को पहले ही खारिज कर दिया था, बावजूद इसके, हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में चल रही आपराधिक कार्यवाही को जारी रखने का आदेश दिया है। कोर्ट ने माना कि मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (PMLA) की धारा 50 के तहत दर्ज किए गए गवाहों के बयान, जिन्हें उत्तर प्रदेश पुलिस के साथ साझा किया गया था, जांच और अभियोजन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का वैध आधार हो सकते हैं।

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, “यह तर्क स्वीकार नहीं किया जा सकता कि PMLA की धारा 50 के तहत दर्ज किए गए बयान कभी भी आपराधिक जांच के लिए आधार नहीं बन सकते।” कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि हालांकि ये बयान अदालत में स्वीकार्य सबूत के तौर पर नहीं माने जा सकते, फिर भी इन्हें जांच की दिशा में उपयोग किया जा सकता है।

दरअसल, इस मामले में अनिल टूटेजा, अनवर ढेबर, अरुण पति त्रिपाठी और निरंजन दास पर आरोप है कि उन्होंने 2,200 करोड़ रुपये के शराब सिंडिकेट का संचालन किया, जो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कार्यकाल के दौरान छत्तीसगढ़ में सक्रिय था। इस घोटाले में टेंडर प्रक्रिया में भारी अनियमितताएं हुईं, खासकर एक नोएडा स्थित कंपनी से जुड़े मामलों में, जिसने छत्तीसगढ़ आबकारी विभाग को होलोग्राम्स की आपूर्ति की थी। ये होलोग्राम्स शराब की बोतलों पर लगने वाले आबकारी शुल्क की ट्रैकिंग के लिए अहम थे।

अनिल टूटेजा का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे ने कोर्ट में यह तर्क दिया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा ईडी की अभियोजन शिकायत को खारिज करने के बाद इस आपराधिक मामले को भी रद्द कर दिया जाना चाहिए। हालांकि, उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता पीके गिरी ने सफलतापूर्वक यह दलील दी कि उत्तर प्रदेश में दर्ज एफआईआर भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी), 468 (जालसाजी), 471 (जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल), और 120-बी (आपराधिक साजिश) के तहत संज्ञेय अपराधों को दर्शाती है।

अदालत ने माना कि याचिकाकर्ताओं के खिलाफ आरोप गंभीर हैं और जांच को जारी रखने के लिए पर्याप्त आधार हैं। इस फैसले के साथ, सभी आरोपियों, जिनमें अनवर ढेबर भी शामिल हैं, के खिलाफ उत्तर प्रदेश में कानूनी प्रक्रिया जारी रहेगी।