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जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के कर्मचारियों को हाईकोर्ट ने दी बड़ी राहत, सेवा समाप्ति का आदेश किया निरस्त

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ShivApr 19, 20252 min read

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भाजपा विधायक ईश्वर साहू ने सुप्रीम कोर्ट पर की अभद्र टिप्पणी ! फेसबुक पोस्ट वायरल होते ही दी सफाई…

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राजधानी में कारोबारी के अपहरण की अफवाह से मचा हड़कंप, निकला धोखाधड़ी का फरार आरोपी

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ShivApr 19, 20251 min read

रायपुर। ओडिशा के झारसुगुड़ा में दर्ज धोखाधड़ी के एक मामले…

April 19, 2025

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छत्तीसगढ़ कोयला घोटाला: पूर्व IAS रानू साहू की जमानत याचिका खारिज, हाईकोर्ट की सिंगल बेंच का फैसला

बिलासपुर।    छत्तीसगढ़ कोयला घोटाला मामले में पूर्व आईएएस रानू साहू की मुश्किलें बढ़ गई हैं. हाईकोर्ट ने उनकी 2 अग्रिम जमानत याचिका का सुरक्षित फैसला शुक्रवार को सुनाया. जस्टिस नरेंद्र कुमार व्यास की सिंगल बेंच ने अपराध की गंभीरता को देखते हुए सुनवाई में रानू साहू की जमानत याचिका खारिज कर दी है.

बता दें, रानू साहू कोल लेवी घोटाले मामले में रायपुर के सेंट्रल जेल में बंद हैं. उनपर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 13(2) और 13(1)(बी) और आईपीसी की धारा 120बी और 420 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 और 12 के तहत दो अलग- अलग मामले दर्ज हैं. इनमें संभावित गिरफ्तारी से बचने के लिए उनके वकील द्वारा 2 जमानत याचिकाएं लगाई गई थीं, जिन पर 31 जनवरी 2025 को फैसला सुरक्षित रखा गया था. फिलहाल कोर्ट ने उन्हे राहत देने से इंकार कर दिया है.

पूर्व आईएएस रानू साहू के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो और आर्थिक अपराध शाखा में दर्ज शिकायत के अनुसार, उनपर आरोप है कि उनके और उसके परिवार के पास आय से अधिक संपत्ति है. साथ ही, उसने सूर्यकांत तिवारी के कोयला लेवी सिंडिकेट की मदद की. यह सिंडिकेट कोयला डिलीवरी ऑर्डर पर परमिट जारी करने के लिए प्रति टन 25 रुपए की अवैध वसूली करता था. शिकायत में कहा गया कि 2015 से अक्टूबर 2022 तक आवेदक और उसके परिवार ने 24 अचल संपत्तियां खरीदीं. 2011 से 2022 तक उसे वेतन के रूप में 92 लाख रुपए मिले, जबकि उसने 3.93 करोड़ रुपए की संपत्तियां खरीदीं. इस आधार पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई.  इसके अलावा एक अन्य मामला भी दर्ज कराया गया है.

जानिए क्या है कोयला घोटाला मामला:

छत्तीसगढ़ में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की छापेमारी में 570 करोड़ रुपये की अवैध कोल लेवी वसूली का खुलासा हुआ था. ईडी का दावा है कि खनिज विभाग के तत्कालीन संचालक आईएएस समीर बिश्नोई ने 15 जुलाई 2020 को आदेश जारी कर कोल परिवहन में ऑनलाइन परमिट को ऑफलाइन कर दिया था, जिससे व्यापारियों से वसूली की जा सके. वहीं इस घोटाले का मास्टरमाइंड कोल व्यापारी सूर्यकांत तिवारी को माना गया है, जिसपर ED के अनुसार निलंबित उपसचिव सौम्या चौरसिया का हाथ था.

ईडी के मुताबिक सूर्यकांत तिवारी ने 25 रुपये प्रति टन के हिसाब से अवैध रकम वसूलने के लिए एक सिंडिकेट बनाया था. व्यापारियों से अवैध रकम वसूलने के बाद ही उन्हें खनिज विभाग से पीट पास और परिवहन पास जारी किए जाते थे. इस मामले की जांच जारी है और संबंधित अधिकारियों एवं व्यापारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है.