Special Story

पाकिस्तान ने तोड़ा सीजफायर, जम्मू के कई इलाकों में की फायरिंग

पाकिस्तान ने तोड़ा सीजफायर, जम्मू के कई इलाकों में की फायरिंग

ShivMay 10, 20251 min read

जम्मू-कश्मीर।  युद्ध विराम पर सहमति के कुछ देर बाद ही…

नेशनल लोक अदालत : 17 हजार से अधिक मामलों का हुआ निराकरण

नेशनल लोक अदालत : 17 हजार से अधिक मामलों का हुआ निराकरण

ShivMay 10, 20252 min read

मुंगेली। न्यायिक इतिहास में एक और सुनहरा अध्याय जुड़ गया…

पुराने PHQ कार्यालय के सामने चाकूबाजी, एक जवान ने दूसरे को मारा चाकू

पुराने PHQ कार्यालय के सामने चाकूबाजी, एक जवान ने दूसरे को मारा चाकू

ShivMay 10, 20251 min read

रायपुर। राजधानी के सिविल लाइन स्थित पुराने PHQ में शनिवार…

May 11, 2025

Apni Sarkaar

जो कहेंगे सच कहेंगे

ग्रीन जीडीपी के लिए पारिस्थितिकी तंत्र का मूल्यांकन शुरू करने वाला छत्तीसगढ़ बना देश का पहला राज्य

रायपुर।   वन पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं को ग्रीन जीडीपी के साथ जोड़ने की पहल शुरू करने वाला छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य बन गया है। इस पहल के द्वारा पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के व्यापक मूल्य को मापकर छत्तीसगढ़ के सतत विकास में रेखांकित किया जाएगा।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत 2047 विज़न और सतत विकास लक्ष्यों के अनुरूप विज़न डॉक्यूमेंट तैयार कर रही है, जिसमें वन विभाग द्वारा संचालित पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के मूल्यांकन की अवधारणा सम्मिलित की गई है। यह समग्र दृष्टिकोण राज्य में पर्यावरण संरक्षण और आर्थिक प्रगति के बीच संतुलन बनाए रखने की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है, जिससे आने वाली पीढ़ियों के लिए सतत और समृद्ध भविष्य सुनिश्चित हो सके। वन मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं का मूल्यांकन न केवल बजटीय योजना को अधिक सुव्यवस्थित बनाएगा, बल्कि भविष्य की रणनीतियों को दिशा प्रदान करेगा, धन आवंटन को अधिक प्रभावी बनाएगा और वानिकी विकास के प्रयासों को सशक्त करेगा। यह प्रक्रिया सतत विकास और संसाधनों के बेहतर प्रबंधन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी।

उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ राज्य मे संयुक्त वन प्रबंधन कार्यक्रम ने स्थानीय समुदायों को और अधिक सशक्त बनाया है। गुरु घासीदास, कांगेर घाटी और इंद्रावती जैसे राष्ट्रीय उद्यानों के साथ, छत्तीसगढ़ में प्रकृति आधारित पर्यटन के लिए असीम संभावनाएं हैं। स्थानीय निवासियों को जंगल सफारी, नेचर ट्रेल्स और इको-कैंपिंग जैसी सुविधाओं के प्रबंधन में सक्रिय रूप से शामिल किया जा रहा है, जिससे न केवल सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा मिला है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों को भी सशक्त किया गया है। छत्तीसगढ़ का 44 प्रतिशत भू-भाग वन क्षेत्र से आच्छादित है। यह राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए एक मजबूत आधार हैं और लाखों लोगों की आजीविका में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये वन विभिन्न प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष लाभ प्रदान करते हैं। वनों से प्राप्त होने वाले अन्य महत्वपूर्ण अमूर्त लाभ अक्सर उपेक्षित रहते हैं और उनका उचित मूल्यांकन नहीं हो पाता। इनमें जलवायु संतुलन बनाए रखने के लिए कार्बन अवशोषण, कृषि के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण परागण, पोषक तत्वों का चक्रण, मृदा उर्वरता में सुधार और जैव विविधता संरक्षण जैसी सेवाएं शामिल हैं। वनों का बाढ़ और रोग नियंत्रण, जल प्रवाह का प्रबंधन और वेक्टर जनित रोगों के जोखिम को कम करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका है।

इसके अतिरिक्त, वनों से जल पुनर्भरण और शुद्धिकरण होता है, शुद्ध ऑक्सीजन प्रदान कर वायु गुणवत्ता में सुधार होता है, और सुंदर प्राकृतिक दृश्य तथा जैव विविधता-समृद्ध क्षेत्रों के माध्यम से मनोरंजन के साथ-साथ भावनात्मक संतुष्टि भी प्रदान होती है। इन वनों का गहरा आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व भी है, क्योंकि पवित्र स्थलों और देवगुड़ी जैसे क्षेत्रों के माध्यम से ये आदिवासी विरासत और परंपराओं को संरक्षित रखते हैं। इसके अलावा छत्तीसगढ़ के वन अनेक नदियों का उद्गम स्थल हैं, जो सतत जल प्रवाह, जलग्रहण क्षेत्र संरक्षण और कृषि तथा आजीविका के लिए आवश्यक जैविक पदार्थ से मृदा को समृद्ध करने में सहायक हैं। इन प्रत्यक्ष लाभों का राज्य की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पर व्यापक आर्थिक प्रभाव पड़ता है। ये सभी लाभ ग्रामीण उद्योगों और आजीविका को प्रोत्साहित करते हैं और राज्य के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान करते हैं।