Special Story

मुख्यमंत्री श्री साय ने मुंगेली प्रेस क्लब के नवनिर्मित भवन का किया लोकार्पण, पत्रकारों को दी बधाई

मुख्यमंत्री श्री साय ने मुंगेली प्रेस क्लब के नवनिर्मित भवन का किया लोकार्पण, पत्रकारों को दी बधाई

ShivMay 19, 20251 min read

रायपुर।    मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने आज जिला मुख्यालय मुंगेली…

माहेश्वरी युवा मंडल रायपुर की वार्षिक आम सभा हुई सम्पन्न

माहेश्वरी युवा मंडल रायपुर की वार्षिक आम सभा हुई सम्पन्न

ShivMay 19, 20251 min read

रायपुर।  माहेश्वरी युवा मंडल रायपुर की वार्षिक आम सभा संपन्न…

सुशासन तिहार : एक्शन में CM साय, कलेक्टर को लगाई फटकार, DEO और ईई को निलंबित करने के दिए निर्देश

सुशासन तिहार : एक्शन में CM साय, कलेक्टर को लगाई फटकार, DEO और ईई को निलंबित करने के दिए निर्देश

ShivMay 19, 20255 min read

रायपुर।   सुशासन तिहार के दौरान मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने…

May 19, 2025

Apni Sarkaar

जो कहेंगे सच कहेंगे

CGMSC घोटाला : इन अधिकारियों पर लटकी गिरफ्तारी की तलवार, DHS की एक स्टॉफ पर अब तक नहीं पड़ी टीम की नजर…

रायपुर। छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कारपोरेशन (CGMSC) में करोड़ों रुपये के घोटाले की जांच ACB/EOW ने तेज कर दी है. सीजीएमएससी घोटाला मामले की कथित तौर पर लिप्त अधिकारियों को ईओडब्ल्यू-एसीबी ने पूछताछ के लिए तलब किया है. खबर आ रही है कि सीजीएमएससी की जीएम फाइनेंस मीनाक्षी गौतम, बायोमेडिकल इंजीनियर क्षिरौंद्र रावटिया, जीएम टेक्निकल इक्विपमेंट कमलकांत पाटनवार और टेंडर एंड परचेसिंग ऑफिसर अभिमन्यु सिंह से ईओडब्ल्यू-एसीबी की पूछताछ चल रही है.

ACB/EOW ने कल देर रात तक बसंत कौशिक को पूछताछ के लिए तलब किया था. उन्हें तीन दिन का समय देकर दस्तावेजों के साथ फिर से दफ्तर बुलाया है. मोक्षित कारपोरेशन के डायरेक्टर शशांक चोपड़ा 7 दिनों के पुलिस रिमांड पर है. आरोपी के सामने अधिकारियों को बैठाकर ACB/EOW की टीम पूछताछ कर रही है. मामले में अधिकारियों का बयान दर्ज किया जा रहा है. इस घोटाले के संबंध में अन्य अधिकारियों को तलब कर सकती है.

स्वास्थ्य विभाग के सूत्र बताते है कि इस मामले में डीएचएस में पदस्थ एक स्टॉफ भी जांच के दायरे में है. इस स्टॉफ का काम ये होता था मोक्षित कार्पोरेशन के पास मौजूद उपकरण और दवाईयों का ऑर्डर दिलवाने के लिए डॉक्टरों को संपर्क करती थी और उन्हें इसे डिमांड करने के लिए कहती थी. हालांकि इसकी जानकारी अब तक कार्रवाई करने वाली टीम तक नहीं पहुंची है.

दो साल के ऑडिट में खुली थी पोल

लेखा परीक्षा की टीम की ओर से CGMSC की सप्लाई दवा और उपकरण को लेकर वित्त वर्ष 2022-24 और 2023-24 के दस्तावेज को खंगाला गया तो कंपनी ने बिना बजट आवंटन के 660 करोड़ रुपये की खरीदी की थी, जिसे ऑडिट टीम ने पकड़ लिया था. ऑडिट में पाया गया है कि पिछले दो सालों में आवश्यकता से ज्यादा खरीदे केमिकल और उपकरण को खपाने के चक्कर में नियम कानून को भी दरकिनार किया गया. जिस हॉस्पिटल में जिस केमिकल और मशीन की जरूरत नहीं वहां भी सप्लाई कर दिया गया. प्रदेश के 776 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों सप्लाई की गई, जिनमें से 350 से अधिक ही प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र ऐसे हैं, जिसमें कोई तकनीकी, जनशक्ति और भंडारण सुविधा उपलब्ध ही नहीं थी. ऑडिट टीम के अनुसार DHS ने स्वास्थ्य देखभाल की सुविधाओं में बेसलाइन सर्वेक्षण और अंतर विश्लेषण किए बिना ही उपकरणों और रीएजेंट मांग पत्र जारी किया था.

स्वास्थ्य महकमे के अधिकारियों के खिलाफ भी दर्ज है मामला

ईओडब्ल्यू ने अपनी एफआईआर में स्वास्थ्य महकमे के आला अधिकारियों के खिलाफ भी अपराध दर्ज किया है. एफआईआर में स्वास्थ्य संचालक और सीजीएमएससी की एमडी पर गंभीर टिप्पणी की गई है. इस एफआईआर के बाद यह माना जा रहा है कि जांच की जद में कई आला अफसर आ सकते हैं. चर्चा है कि इस घोटाले में शामिल रहे लोगों की जल्द गिरफ्तारियां होंगी. ईओडब्ल्यू की शुरुआती जांच में यह तथ्य भी सामने आया है कि अफसरों की मिलीभगत से सरकार को अरबों रुपए की चपत लगाई गई.