Special Story

छत्तीसगढ़ समेत दिल्ली, कोलकाता, भोपाल में 60 जगहों पर सीबीआई की दबिश, कई अहम दस्तावेज जब्त, जांच जारी…

छत्तीसगढ़ समेत दिल्ली, कोलकाता, भोपाल में 60 जगहों पर सीबीआई की दबिश, कई अहम दस्तावेज जब्त, जांच जारी…

ShivMar 26, 20253 min read

नई दिल्ली। केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) ने महादेव बुक ऑनलाइन सट्टेबाजी…

March 26, 2025

Apni Sarkaar

जो कहेंगे सच कहेंगे

CGMSC घोटाला : सात दिन की पुलिस रिमांड पर भेजे गए पांचों आरोपी, EOW की विशेष अदालत ने सुनाया फैसला…

रायपुर। छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कार्पोरेशन (CGMSC) में करोड़ों के रीएजेंट खरीदी घोटाले में ईओडब्लू की विशेष अदालत ने पांच आरोपियों को सात दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया है. ईओडब्ल्यू ने आरोपियों की 15 दिन की रिमांड मांगी थी. 

ईओडब्ल्यू ने दो आईएएस समेत CGMSC और हेल्थ विभाग के दर्जन भर अधिकारियों को तलब कर लंबी पूछताछ करने के बाद की पांचों लोगों को देर रात गिरफ्तार किया था. इसके बाद आज सुबह ईओडब्ल्यू की विशेष अदालत में पेश किया गया. ईओडब्ल्यू की ओर से मामले की तह तक जाने के लिए आरोपियों की 15 दिन की पुलिस रिमांड मांगी थी. विशेष अदालत के न्यायधीश ने सुनवाई के बाद सात दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया.

मामले में CGMSC के तत्कालीन प्रभारी महाप्रबंधक उपकरण एवं उप प्रबंधक क्रय एवं संचालन बसंत कुमार कौशिक, तत्कालीन बायोमेडिकल इंजीनियर छिरोध रौतिया, तत्कालीन उप प्रबंधक उपकरण कमलकांत, तत्कालीन डिप्टी डायरेक्टर स्टोर डॉ. अनिल परसाई, तत्कालीन बायोमेडिकल इंजीनियर दीपक कुमार बाँधे विशेष अदालत के फैसले के बाद अब 28 मार्च तक रिमांड पर रहेंगे.

बता दें कि कांग्रेस शासनकाल में स्वास्थ्य विभाग के CGMSC ने मोक्षित कॉरपोरेशन के माध्यम से छत्तीसगढ़ की राजकोष को किस तरह से खाली किया है इस पूरे मामले को लेकर 660 करोड़ रुपए के गोल-माल को लेकर भारतीय लेखा एंव लेखापरीक्षा विभाग के प्रिंसिपल अकाउंटेंट जनरल (ऑडिट) आईएएस यशवंत कुमार ने एडिशनल चीफ सेक्रेटरी मनोज कुमार पिंगआ को पत्र लिखा था.

दो साल के ऑडिट में खुली थी पोल

लेखा परीक्षा की टीम की ओर से CGMSC की सप्लाई दवा और उपकरण को लेकर वित्त वर्ष 2022-24 और 2023-24 के दस्तावेज को खंगाला गया तो कंपनी ने बिना बजट आवंटन के 660 करोड़ रुपये की खरीदी की थी, जिसे ऑडिट टीम ने पकड़ लिया था. ऑडिट में पाया गया है कि पिछले दो सालों में आवश्यकता से ज्यादा खरीदे केमिकल और उपकरण को खपाने के चक्कर में नियम कानून को भी दरकिनार किया गया.

बिना जरूरत की हॉस्पिटलों को सप्लाई

प्रदेश के 776 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों सप्लाई की गई, जिनमें से 350 से अधिक ही प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र ऐसे हैं, जिसमें कोई तकनीकी, जनशक्ति और भंडारण सुविधा उपलब्ध ही नहीं थी. ऑडिट टीम के अनुसार DHS ने स्वास्थ्य देखभाल की सुविधाओं में बेसलाइन सर्वेक्षण और अंतर विश्लेषण किए बिना ही उपकरणों और रीएजेंट मांग पत्र जारी किया था.