Special Story

CBI ने दर्ज की भूपेश बघेल पर FIR : महादेव सट्टा एप मामले में सीबीआई ने की कार्रवाई

CBI ने दर्ज की भूपेश बघेल पर FIR : महादेव सट्टा एप मामले में सीबीआई ने की कार्रवाई

ShivApr 2, 20252 min read

रायपुर।  केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने महादेव बेटिंग एप मामले…

सीएम राइज स्कूल कहलाएंगे अब सांदीपनि विद्यालय : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव

सीएम राइज स्कूल कहलाएंगे अब सांदीपनि विद्यालय : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव

ShivApr 1, 20257 min read

भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि मध्यप्रदेश…

“मुख्यमंत्री सुगम परिवहन सेवा” प्रारम्भ करने की स्वीकृति

“मुख्यमंत्री सुगम परिवहन सेवा” प्रारम्भ करने की स्वीकृति

ShivApr 1, 20259 min read

भोपाल।  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में मंगलवार को…

April 2, 2025

Apni Sarkaar

जो कहेंगे सच कहेंगे

CGMSC घोटाला : EOW ने पांच अधिकारियों को किया गिरफ्तार, दो जीएम के अलावा हेल्थ विभाग के डिप्टी डायरेक्टर शामिल…

रायपुर। छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कारपोरेशन (CGMSC) में करोड़ों के रीएजेंट खरीदी घोटाले में देर रात ईओडब्लू ने पांच अधिकारियों को गिरफ्तार किया है. इनमें सीजीएमएससी के दो जीएम के अलावा हेल्थ विभाग के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. अनिल परसाई को भी गिरफ्तार किया है. मामले में रीएजेंट सप्लायर मोक्षित कार्पोरेशन के डायरेक्टर शाशांक चोपड़ा को ईओडब्लू पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है. 

ईओडब्लू ने कल रात वसंत कौशिक, डॉ. अनिल परसाई, शिरौंद्र रावटिया, कमलकांत पाटनवार और दीपक बांधे को गिरफ्तार कर लिया. ईओडब्ल्यू ने यह कार्रवाई दो आईएएस समेत सीजीएमएससी और हेल्थ विभाग के दर्जन भर अधिकारियों को तलब कर लंबी पूछताछ करने के बाद की है. कुछ ही देर में इन्हें ईओडब्लू कोर्ट में पेश किए जाने की संभावना है.

बता दें कि कांग्रेस शासनकाल में स्वास्थ्य विभाग के CGMSC ने मोक्षित कॉरपोरेशन के माध्यम से छत्तीसगढ़ की राजकोष को किस तरह से खाली किया है इस पूरे मामले को लेकर 660 करोड़ रुपए के गोल-माल को लेकर भारतीय लेखा एंव लेखापरीक्षा विभाग के प्रिंसिपल अकाउंटेंट जनरल (ऑडिट) आईएएस यशवंत कुमार ने एडिशनल चीफ सेक्रेटरी मनोज कुमार पिंगआ को पत्र लिखा था.

दो साल के ऑडिट में खुली थी पोल

लेखा परीक्षा की टीम की ओर से CGMSC की सप्लाई दवा और उपकरण को लेकर वित्त वर्ष 2022-24 और 2023-24 के दस्तावेज को खंगाला गया तो कंपनी ने बिना बजट आवंटन के 660 करोड़ रुपये की खरीदी की थी, जिसे ऑडिट टीम ने पकड़ लिया था. ऑडिट में पाया गया है कि पिछले दो सालों में आवश्यकता से ज्यादा खरीदे केमिकल और उपकरण को खपाने के चक्कर में नियम कानून को भी दरकिनार किया गया.

बिना जरूरत की हॉस्पिटलों को सप्लाई

प्रदेश के 776 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों सप्लाई की गई, जिनमें से 350 से अधिक ही प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र ऐसे हैं, जिसमें कोई तकनीकी, जनशक्ति और भंडारण सुविधा उपलब्ध ही नहीं थी. ऑडिट टीम के अनुसार DHS ने स्वास्थ्य देखभाल की सुविधाओं में बेसलाइन सर्वेक्षण और अंतर विश्लेषण किए बिना ही उपकरणों और रीएजेंट मांग पत्र जारी किया था.