Special Story

बैंकों की भूमिका महत्वपूर्ण, MSME को मिलेगा नया आयाम: सांसद बृजमोहन अग्रवाल

बैंकों की भूमिका महत्वपूर्ण, MSME को मिलेगा नया आयाम: सांसद बृजमोहन अग्रवाल

ShivMar 4, 20252 min read

रायपुर।  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत, समृद्ध भारत के…

साइबर क्राइम पर शिकंजा : पुलिस ने 10 म्यूल अकाउंट धारकों को किया गिरफ्तार, 2.88 करोड़ की ठगी का खुलासा

साइबर क्राइम पर शिकंजा : पुलिस ने 10 म्यूल अकाउंट धारकों को किया गिरफ्तार, 2.88 करोड़ की ठगी का खुलासा

ShivMar 4, 20252 min read

खैरागढ़। छत्तीसगढ़ के अलग-अलग जिलों में पुलिस लगातार साइबर क्राइम…

बजट 2025 : वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने कहा- ‘गति’ के जरिए ही साय सरकार हासिल करेगी ‘ज्ञान’ का लक्ष्य

बजट 2025 : वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने कहा- ‘गति’ के जरिए ही साय सरकार हासिल करेगी ‘ज्ञान’ का लक्ष्य

ShivMar 4, 20253 min read

रायपुर। भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश सरकार के वित्त मंत्री ओपी…

March 4, 2025

Apni Sarkaar

जो कहेंगे सच कहेंगे

CGMSC घोटाला : ACB/EOW ने जांच की तेज, 6 अधिकारियों से पूछताछ की सरकार से मांगी अनुमति

रायपुर।  छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कारपोरेशन (CGMSC) में करोड़ों रुपये के घोटाले की जांच ACB/EOW ने तेज कर दी है. हाल ही में ACB ने CGMSC के सबसे बड़े सप्लायर मोक्षित कारपोरेशन के डायरेक्टर शशांक चोपड़ा को गिरफ्तार किया था. जिसे कोर्ट ने 4 फरवरी तक पुलिस रिमांड पर भेज दिया है. ACB/EOW की टीम आरोपी से पूछताछ कर रही है. वहीं जांच का दायरा बढ़ाते हुए ACB/EOW ने 6 अधिकारियों से पूछताछ के लिए राज्य सरकार से नियम 17 ए के तहत अनुमति मांगी है.

इन 6 अधिकारियों से हो सकती है पूछताछ

ACB/EOW अधिकारी ने मीनाक्षी गौतम, वसंत कौशिक, डॉ. अनिल परसाई, क्षिरौंद्र रावटिया, कमलकांत पाटनवार और आनंद राव के नाम पूछताछ के लिए भेजे हैं. सभी अधिकारी CGMSC में डेपुटेशन पर तैनात रहे हैं या वर्तमान में पोस्टेड हैं.

दो साल के ऑडिट में खुली थी पोल

लेखा परीक्षा की टीम की ओर से CGMSC की सप्लाई दवा और उपकरण को लेकर वित्त वर्ष 2022-24 और 2023-24 के दस्तावेज को खंगाला गया तो कंपनी ने बिना बजट आवंटन के 660 करोड़ रुपये की खरीदी की थी, जिसे ऑडिट टीम ने पकड़ लिया था. ऑडिट में पाया गया है कि पिछले दो सालों में आवश्यकता से ज्यादा खरीदे केमिकल और उपकरण को खपाने के चक्कर में नियम कानून को भी दरकिनार किया गया. जिस हॉस्पिटल में जिस केमिकल और मशीन की जरूरत नहीं वहां भी सप्लाई कर दिया गया. प्रदेश के 776 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों सप्लाई की गई, जिनमें से 350 से अधिक ही प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र ऐसे हैं, जिसमें कोई तकनीकी, जनशक्ति और भंडारण सुविधा उपलब्ध ही नहीं थी. ऑडिट टीम के अनुसार DHS ने स्वास्थ्य देखभाल की सुविधाओं में बेसलाइन सर्वेक्षण और अंतर विश्लेषण किए बिना ही उपकरणों और रीएजेंट मांग पत्र जारी किया था.

स्वास्थ्य महकमे के अधिकारियों के खिलाफ भी दर्ज है मामला

ईओडब्ल्यू ने अपनी एफआईआर में स्वास्थ्य महकमे के आला अधिकारियों के खिलाफ भी अपराध दर्ज किया है. एफआईआर में स्वास्थ्य संचालक और सीजीएमएससी की एमडी पर गंभीर टिप्पणी की गई है. इस एफआईआर के बाद यह माना जा रहा है कि जांच की जद में कई आला अफसर आ सकते हैं. चर्चा है कि इस घोटाले में शामिल रहे लोगों की जल्द गिरफ्तारियां होंगी. ईओडब्ल्यू की शुरुआती जांच में यह तथ्य भी सामने आया है कि अफसरों की मिलीभगत से सरकार को अरबों रुपए की चपत लगाई गई.