Special Story

नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता हुई गर्भवती: जान पर बन आई तो डॉक्टरों ने मांगी अबॉर्शन की अनुमति, हाई कोर्ट ने सुनाया ये फैसला

नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता हुई गर्भवती: जान पर बन आई तो डॉक्टरों ने मांगी अबॉर्शन की अनुमति, हाई कोर्ट ने सुनाया ये फैसला

ShivMay 14, 20252 min read

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के गौरेला-पेंड्रा-मरवाही (जीपीएम) जिले में दुष्कर्म की शिकार…

SP जितेंद्र यादव ने बताई कर्रेगुट्टा पहाड़ी पर चलाए गए एंटी नक्सल ऑपरेशन की सफलता

SP जितेंद्र यादव ने बताई कर्रेगुट्टा पहाड़ी पर चलाए गए एंटी नक्सल ऑपरेशन की सफलता

ShivMay 14, 20252 min read

बीजापुर।  कर्रेगुट्टा की पहाड़ी पर 21 दिनों तक चलाए गए…

बांस नहीं मिलने से संकट में बांसवार जाति, कार्डधारी प्रशासन से कर रहे मुआवजे की मांग…

बांस नहीं मिलने से संकट में बांसवार जाति, कार्डधारी प्रशासन से कर रहे मुआवजे की मांग…

ShivMay 14, 20252 min read

महासमुंद। महासमुंद जिले की पारंपरिक रूप से बांस पर निर्भर…

डीएमएफ घोटाला मामले में रानू साहू, सौम्या चौरसिया, समेत 4 आरोपियों की जमानत खारिज

डीएमएफ घोटाला मामले में रानू साहू, सौम्या चौरसिया, समेत 4 आरोपियों की जमानत खारिज

ShivMay 14, 20252 min read

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में DMF घोटाला मामले में हाईकोर्ट ने आज पूर्व…

May 14, 2025

Apni Sarkaar

जो कहेंगे सच कहेंगे

मूक बधिर बच्ची से दुष्कर्म का मामला: हाईकोर्ट ने खारिज की आरोपी की अपील, बच्चों की गवाही पर आजीवन कारावास की सजा बरकरार

बिलासपुर। हाईकोर्ट ने मानसिक कमजोर मूक बधिर बच्ची से बलात्कार के मामले में गांव के बच्चों की गवाही के आधार पर दोषी की सजा को उचित बताया है। खुद के साथ हुए अपराध के बारे में पीड़िता ट्रायल कोर्ट को नहीं बता सकी, लेकिन उसके साथ के गांव के बच्चों ने पूरी सच्चाई बता दी। हाईकोर्ट ने बच्चों की गवाही और फॉरेंसिक रिपोर्ट को दोष सिद्धि के लिए पुख्ता साक्ष्य माना है। साथ ही हाईकोर्ट ने आरोपी की अपील को खारिज करते हुए निचली अदालत के निर्णय को यथावत रखा है।

धमतरी जिले की रहने वाली मानसिक रूप से कमजोर मूक बधिर 3 अगस्त 2019 की दोपहर को गांव के अन्य बच्चों के साथ आरोपी चैन सिंह के घर टीवी देख रही थी। तभी दोपहर 3.30 बजे आरोपी आया और पीड़िता का हाथ पकड़ कर दूसरे कमरे के अंदर ले गया। साथ टीवी देख रहे बच्चों ने बंद दरवाजा धक्का देकर खोला तो देखा कि आरोपी पीड़िता के साथ गलत काम कर रहा था, बच्चों को देख आरोपी उसे छोड़कर भाग गया। बच्चों ने इसकी जानकारी पीड़िता की माँ को दी। पीड़िता की माँ ने देखा कि उसके हाथों की चूड़ी टूटी हुई थी, कपड़े भी ठीक से नहीं थे। मामले की रिपोर्ट लिखाई गई। मेडिकल जांच में डॉक्टर ने पीड़िता के मानसिक अस्वस्थ व मूक बधिर होने की रिपोर्ट दी। पुलिस ने कपड़े जब्त कर एफएसएल जांच के लिए भेजा। सुनवाई उपरांत दोष सिद्ध होने पर न्यायालय ने आरोपी को 376 (2) में 10 वर्ष कैद, 5000 रुपये अर्थदंड तथा पीड़िता के अनुसूचित जनजाति वर्ग से होने पर एट्रोसिटी एक्ट में आजीवन कारावास व 5000 रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई।

आरोपी ने सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की। मामले में चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविन्द्र कुमार अग्रवाल की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। आरोपी ने अपील में कहा कि उसे फंसाया गया है। पीड़िता का परीक्षण नहीं किया गया, पीड़िता ने भी इस संबंध में कुछ नहीं कहा है। हाईकोर्ट ने आदेश में कहा कि पीड़िता मूक-बधिर और मानसिक रूप से फिट नहीं है, वह बोल भी नहीं सकती। इसलिए उससे गवाह के रूप में पूछताछ नहीं की गई। उसकी मां ने बताया है कि साथ गए बच्चों ने पीड़िता को आरोपी द्वारा घर के अंदर खींचते देखा। बच्चों ने दरवाजे को धक्का दिया, तो देखा कि वह दुष्कर्म कर रहा था। इसके अलावा, एफएसएल रिपोर्ट की रिपोर्ट से साबित होता है कि अपीलकर्ता ने पीड़िता के साथ दुष्कर्म किया।