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तीन जिलों के DSP को किया गया स्थानन्तरित, आदेश हुआ जारी

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ShivJun 5, 20251 min read

रायपुर। गृह (पुलिस) विभाग ने दुर्ग, रायपुर और बिलासपुर के…

सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा स्थानांतरण नीति को लेकर दिशा-निर्देश किया गया जारी

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ShivJun 5, 20252 min read

रायपुर। स्थानांतरण नीति को लेकर दिशा निर्देश जारी कर दिया…

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष ने की सौजन्य मुलाकात

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ShivJun 5, 20251 min read

रायपुर।   मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से आज उनके निवास कार्यालय…

चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर मची भगदड़ में 11 की मौत, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने जताया शोक

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ShivJun 5, 20251 min read

रायपुर।  कर्नाटक के चिन्नास्वामी स्टेडियम में हुए भगदड़ में कई…

June 5, 2025

Apni Sarkaar

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छात्रावास में विशेष संरक्षित जनजातियों की बच्चियों के साथ दुर्व्यवहार का मामला, जांच टीम पर समाज के पदाधिकारी ने लगाया गंभीर आरोप

बलरामपुर। जिले के सनवाल स्थित प्री मैट्रिक कन्या छात्रावास में विशेष संरक्षित जनजातियों की बच्चियों के साथ दुर्व्यवहार करने का मामला सामने आया था. शिकायत के बाद मामले की जांच के लिए टीम गठित की गई थी. लेकिन अब वो टीम विवादों में आ गई है. जांच करने गए टीम पर पंडो समाज के पदाधिकारी ने गंभीर आरोप लगाए हैं.

बता दें कि सनवाल के प्री मैट्रिक कन्या छात्रावास की अधीक्षिका नीलिमा खलखो के द्वारा छात्रावास के बच्चियों को प्रताड़ित और दुर्व्यवहार करने का मामला सामने आया था. जिस पर जिला प्रशासन ने टीम का गठन कर जांच करने की बात कही थी. वहीं जांच दल कन्या छात्रावास पहुंची और जांच भी किया. लेकिन पंडों समाज ने जांच दल पर आरोप लगाते हुए संभागीय कमिश्नर को पत्र लिखा है. जिसमें कहा गया है कि लगभग 32 छात्राओं ने शिकायत की थी जबकि जांच टीम ने केवल 10 छात्राओं का ही कथन लिया. प्रताड़ना से तंग आकर पढ़ाई छोड़ने वाली छात्रा का भी बयान दर्ज नहीं किया गया. संघ ने यह भी आरोप लगाया है कि जो नए बच्चियों का छात्रावास में आगमन हुआ है, वे वहां के लिए अभी नए-नए हैं. उनका कथन भी लिया गया है जो निष्पक्षता पूर्ण और पारदर्शी पूर्ण नहीं है.वहीं पीड़ित छात्राओं के अभिभावकों को भी नहीं बुलाया गया था. इससे यह चरितार्थ होता है कि जांच में लीपापोती करने का पूरा प्रयास किया गया है.

इस मामले में पंडों समाज के प्रांतीय अध्यक्ष उदय पंडों ने जानकारी देते हुए बताया कि अधीक्षिका के द्वारा छात्राओं को प्रताड़ित करने जांच टीम को गुमराह करने का कार्य किया गया है. उनके विरुद्ध निलंबन और पद से हटाने की कार्रवाई की जानी चाहिए. अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो समाज प्रदर्शन के लिए बाध्य होगा, जिसकी समस्त जिम्मेदारी शासन प्रशासन की होगी.