मेकाहारा में पत्रकारों से मारपीट का मामला: डीन ने “कॉल मी सर्विसेस” कंपनी को जारी किया नोटिस, ठेका रद्द कर ब्लैकलिस्ट करने की तैयारी

रायपुर। डॉ. भीमराव अंबेडकर मेमोरियल अस्पताल (मेकाहारा) में पत्रकारों से हुई मारपीट के मामले में अब बड़ी कार्रवाई की ओर कदम बढ़ाया गया है। बाउंसरों की गुंडागर्दी के बाद अस्पताल प्रशासन ने कड़ा रुख अपनाया है। रायपुर मेडिकल कॉलेज के अधिष्ठाता (डीन) डॉ. विवेक चौधरी ने “कॉल मी सर्विसेस” ठेका कंपनी को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।

डॉ. चौधरी ने बताया कि अधीक्षक डॉ. संतोष सोनकर की अनुशंसा के बाद यह नोटिस जारी किया गया। उन्होंने कहा कि मीडियाकर्मियों के साथ रात्रिकालीन ड्यूटी में तैनात बाउंसरों द्वारा की गई धक्का-मुक्की और हाथापाई से अस्पताल की छवि धूमिल हुई है, जिसका असर पूरे चिकित्सा महाविद्यालय और अस्पताल प्रशासन की साख पर पड़ा है।
अधिष्ठाता ने स्पष्ट किया है कि यदि कंपनी का स्पष्टीकरण संतोषजनक नहीं पाया गया, तो केवल ठेका निरस्त ही नहीं किया जाएगा, बल्कि कंपनी को ब्लैकलिस्ट भी किया जाएगा।
बता दें कि मामला सामने आने के बाद अधीक्षक ने डीन को पत्र लिखकर ठेका निरस्त करने की सिफारिश की थी और पत्रकारों से वादा किया था कि सोमवार को कार्रवाई की जाएगी। उसी के तहत अब विभागीय जाँच शुरू की गई है। घटना के समय के सभी CCTV फुटेज की समीक्षा की जा रही है, और इस घटना में शामिल सभी कर्मचारियों के विरुद्ध भी कार्रवाई की जाएगी।
कंपनी ने दी ये सफाई
कंपनी के मालिक राज बोथरा ने नोटिस जारी कर कहा है कि यह घटना बेहद निंदनीय है। ऐसे कर्मचारियों के खिलाफ तुरंत सख्त कार्रवाई की जाएगी। भविष्य में इस तरह की घटनाएं न दोहराई जाएं, इसके लिए सभी कर्मचारियों को उचित प्रशिक्षण दिया जाएगा।
गौरतलब है कि “कॉल मी सर्विसेस” कंपनी की सुरक्षा सेवाओं को पहले भी कई बार लेकर विवाद हो चुका है। कंपनी वर्तमान में रायपुर के प्रमुख सरकारी अस्पतालों जैसे दाऊ कल्याण सुपर स्पेशलिटी, जिला अस्पताल पंडरी, कालीबाड़ी मातृ अस्पताल, और AIIMS में भी तैनात है। कांग्रेस शासनकाल में मिली निविदा को भाजपा शासन में भी एक्सटेंशन मिलना अपने आप में सवालों के घेरे में है।
पत्रकारों ने घटना के विरोध में रविवार देर रात मुख्यमंत्री निवास का घेराव किया था। घटना के बाद तीन बाउंसरों को पुलिस ने गिरफ्तार कर आज उनका जुलूस भी निकाला। अब सभी की नजरें इस पर टिकी हैं कि क्या “कॉल मी सर्विसेस” को ब्लैकलिस्ट कर ठोस संदेश दिया जाएगा या यह मामला भी अन्य विवादों की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा।