सायरन बजते ही दुर्ग में ब्लैकआउट : भिलाई इस्पात संयंत्र भी अंधेरे में डूबा, आपातकालीन स्थिति से निपटने लोगों को किया गया जागरूक

दुर्ग। भारत-पाक युद्ध के दौरान आपातकालीन स्थिति से निपटने छत्तीसगढ़ के दुर्ग में सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल किया गया. शाम को 7.30 बजते सायरन बजी और पूरा शहर अंधेरे में डूब गया. शहर के कई इलाकों को ब्लैक आउट किया गया. घरों, दुकानों, आफिसों की लाइटों और सड़क पर चलने वाले वाहनों को रोककर हेडलाइट बंद कर मॉक ड्रिल किया गया.
दुर्ग के सिविक सेंटर चौक, सेक्टर 9 चौक, ग्लोब चौक, 25 मिलियन चौक, इक्यूपमेंट चौक पर मॉक ड्रिल किया गया. वहीं भिलाई इस्पात सयंत्र की सुरक्षा के लिए टाउनशिप में भी ब्लैक आउट किया गया है. शहर में 7.45 बजे तक यानि 15 मिनट तक ब्लैक आउट रहा, इस दौरान आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए मॉक ड्रिल किया गया. लोगों को भी जागरूक किया गया. लोगों, कर्मचारियों, स्टूडेंट्स को आपात स्थिति में बचाव और लोगों को निकालने के तरीके समझाए गए.

सेल के भिलाई इस्पात संयंत्र में आज जिला प्रशासन के निर्देश पर नेशनल डिज़ास्टर रिस्पांस फोर्स (एनडीआरएफ), एसडीआरएफ, सीआईएसएफ एवं बीएसपी ने संयुक्त रूप से आपदा प्रबंधन को मजबूती प्रदान करने संयंत्र के तीन स्थानों मानव संसाधन विकास विभाग, रेल एवं स्ट्रक्चरल मिल व ब्लास्ट फर्नेस-7 के सामने वेलफेयर बिल्डिंग में मॉक ड्रिल का आयोजन किया. युद्ध/हवाई हमले व दुर्घटना के दौरान बचाव कार्य से लेकर दुर्घटना पर काबू पाने जैसे कार्यों को मॉक ड्रिल के माध्यम से बखूबी अंजाम देते हुए योजनाबद्ध अभ्यास किया गया.
इस डिजास्टर मैनेजमेंट के अभ्यास के दौरान मॉक ड्रिल प्रारंभ होते ही आपात स्थिति निर्मित हुई और इंसीडेंट कंट्रोलर के रूप में विभाग के महाप्रबंधक ने कार्यस्थल पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया और घटना की जानकारी तत्काल संबंधित एजेंसियों को दी. आपात स्थिति और लोगों के घायल होने की जानकारी मिलते ही खतरे की घंटी बजी और एनडीआरएफ के साथ शामिल बीएसपी की विभिन्न एजेंसियां सक्रिय हो गई. इस अभ्यास के दौरान बीएसपी के फायर ब्रिगेड, सेफ्टी इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट, ऊर्जा प्रबंधन विभाग, सीआईएसएफ, आक्यूपेशनल हेल्थ सर्विसेस विभाग, सिविल डिफेन्स तथा विभागीय अधिकारियों व कर्मचारियों ने सक्रिय भागीदारी दिखाई. इस मॉक ड्रिल में संयंत्र के कार्मिक विभाग के मार्गदर्शन में आईआर विभाग, मानव संसाधन विकास विभाग, संपर्क, प्रशासन एवं जनसंपर्क विभाग सहित अन्य विभाग के अधिकारी व कर्मचारी सक्रिय रूप से संलग्न रहे. इस मॉक ड्रिल कार्यक्रम पर संयंत्र के वरिष्ठ अधिकारी निरंतर नजर रखे रहे.
एनडीआरएफ टीम व फायर ब्रिगेड टीम ने मिलकर अंदर फंसे घायलों को बाहर निकाला और समुचित प्राथमिक उपचार कर उन्हें एम्बुलेंस के माध्यम से तत्काल अस्पताल भेजा. इस दौरान विभिन्न कार्यवाही को प्रोटोकॉल के अनुरूप अंजाम दिया गया. इस आपदा अभ्यास में उन सभी गतिविधियों की क्लोज मॉनिटरिंग की गई और इस दौरान विभिन्न खामियों को भी नोट किया गया. इस मॉक ड्रिल अभ्यास को संयंत्र के वरिष्ठ अधिकारियों ने अपनी देखरेख में संपादित करवाया.
पुलिस प्रशासन ने जिला प्रशासन के सहयोग से सेक्टर-10 स्थित रेल चौक व सूर्या मॉल में भी मॉक ड्रिल और ब्लैक आउट की रिहर्सल की. इस आयोजन के माध्यम से जनता को जागरूक किया गया. आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए नागरिकों को तैयार करने और प्रशासनिक व्यवस्थाओं को दुरुस्त रखने के उद्देश्य से आज शाम 4 बजे आपातकालीन स्थितियां निर्मित की गई, जो ऑल क्लियर सिग्नल बजने तक जारी रही. ‘रेड अलर्ट’ सायरन बजने के साथ ही मॉक ड्रिल अभ्यास प्रारंभ हुई और ‘ऑल क्लियर’ सायरन बजने के साथ समाप्त की गई. मॉकड्रिल के दौरान नागरिकों को अपने घरों में कोनों में खड़े होने या जमीन पर लेटने व लेटते समय अपने दांतों के बीच कपड़े या रुमाल दबाकर रखने एवं दोनों कानों को हाथ से ढककर रखने की अपील की गई थी.
संयंत्र परिसर में भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा आयोजित मॉक ड्रिल का उद्देश्य संयंत्र की आपातकालीन प्रतिक्रिया तैयारियों का आकलन करने, त्वरित और प्रभावी प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने और कर्मचारियों को विभिन्न आपातकालीन परिदृश्यों से निपटने के लिए प्रशिक्षित करना था. भिलाई इस्पात संयंत्र प्रबंधन सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देता है और यह मॉक ड्रिल संयंत्र में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नियमित रूप से किए जाने वाले उपायों का एक हिस्सा है. इस राष्ट्रव्यापी मॉक ड्रिल के तहत भिलाई इस्पात संयंत्र में आयोजित अभ्यास में संबंधित विभागों के सभी कर्मचारियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया. यह हमें किसी भी आपात स्थिति के लिए बेहतर ढंग से निपटने तैयार रहने में मदद करेगा.
मॉक ड्रिल के अंतर्गत जिला कलेक्टर, दुर्ग के निर्देशानुसार आज संध्या 7ः30 से 7ः45 बजे तक पूरे शहर (सेक्टर-1 व सेक्टर-9 हॉस्पिटल को छोड़कर) में ब्लैक आउट के दौरान विद्युत आपूर्ति पूरी तरह बंद रही. इस दौरान जनसामान्य को जनरेटर, इन्वर्टर, इमरजेंसी लाइट या मोबाइल टॉर्च इत्यादि अन्य उपकरणों का प्रयोग नहीं करने, सड़कों पर चलने वाले वाहनों को यथास्थान रोककर वाहन की लाइटें भी बंद करने, अलर्ट सायरन को समझने संयंत्र द्वारा सोशल मीडिया, वाट्सएप ग्रुप तथा माइक के माध्यम से प्रचार कर जागरूक किया गया था. साथ ही इन सावधानियों का सख्ती से पालन का अनुरोध किया गया था.
सुरक्षा को सर्वश्रेष्ठ प्राथमिकता देते हुए सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र के प्रत्येक विभाग में आकस्मिक आपदा से निपटने प्रोटोकॉल बनाए गए. इस प्रोटोकॉल की जांच के लिए समय-समय पर मॉक ड्रिल का आयोजन किया जाता है. साथ ही इस मॉक ड्रिल की गोपनीयता रखी जाती है, जिससे कि घटना की गंभीरता व प्रोटोकॉल के अनुरूप की जाने वाली कार्यवाही को सही रूप में परखा जा सके.