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ShivJun 12, 20252 min read

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ShivJun 12, 20252 min read

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June 12, 2025

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बाइक एम्बुलेंस सेवा 10 दिनों से ठप, समय पर मदद नहीं मिलने से नवजात की मौत

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही एक बार फिर जानलेवा साबित हुई है। बदहाल व्यवस्था और सिस्टम की अनदेखी के चलते आम लोगों को भारी कीमत चुकानी पड़ रही है। ताजा मामला बिलासपुर जिले के कोटा ब्लॉक का है, जहां बीते 10 दिनों से बाइक एम्बुलेंस सेवा पूरी तरह ठप पड़ी है। इसी लापरवाही का नतीजा यह रहा कि बहरीझिरिया गांव की शांतन बाई को प्रसव पीड़ा होने पर समय पर एम्बुलेंस नहीं मिल पाई, जिससे नवजात की मौत हो गई।

जानकारी के अनुसार, सोमवार की रात बहरीझिरिया गांव की शांतन बाई को अचानक प्रसव पीड़ा शुरू हुई। गांव के लोगों ने कांग्रेस नेता संदीप शुक्ला से मदद की गुहार लगाई। शुक्ला ने तुरंत केंदा स्वास्थ्य केंद्र से बाइक एम्बुलेंस की मांग की, लेकिन उन्हें पता चला कि कर्मचारी वेतन न मिलने के कारण काम बंद कर चुके हैं। इसके बाद प्रभारी सीएमएचओ सुरेश तिवारी को इसकी सूचना दी गई। सीएमएचओ और केंदा प्रभारी के हस्तक्षेप पर रात करीब लगभग 12 बजे 102 एम्बुलेंस को बहरीझिरिया भेजा गया। महिला के गर्भ में नवजात शिशु आधा फंसा हुआ था और बाहर नहीं निकल पा रहा था। इसी हालत में महिला को 102 एम्बुलेंस से केंदा अस्पताल लाया जा रहा था, लेकिन रास्ते में ही बच्चे की मौत हो गई।

बता दें कि एक साल पहले तत्कालीन कलेक्टर अवनीश शरण ने कोटा ब्लॉक के केंदा, लूफा, खोंगसरा और शिवतराई जैसे दुर्गम क्षेत्रों के लिए 4 बाइक एम्बुलेंस की सुविधा शुरू की थी। इन एम्बुलेंसों ने मरीजों को, खासकर गर्भवती महिलाओं और बच्चों को समय पर अस्पताल पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इन बाइक एम्बुलेंस को संचालित करने वाले कर्मचारियों को डीएमएफ (जिला खनिज न्यास) मद से भुगतान किया जा रहा था। लेकिन पिछले कुछ समय से बाइक एम्बुलेंस चलाने वाले कर्मचारियों का भुगतान रोक दिया गया था, जिससे बकाया राशि बढ़कर 3 लाख रुपये हो गई थी। कर्मचारियों ने कई बार एनएचएम (राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन) प्रभारी प्यूली मजूमदार को इस संबंध में जानकारी दी लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया गया। जिसके चलते 10 दिन पहले कर्मचारियों ने केंद्रा स्वास्थ्य केंद्र में बाइक खड़ी कर काम बंद कर दिया।