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मुख्यमंत्री को माँ ने दिया अपना आशीर्वाद—स्नेह से छुआ गाल, हृदय से कहा धन्यवाद

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ShivMay 16, 20252 min read

रायपुर।   बीजापुर जिले के उसूर ब्लॉक के करेगुट्टा पर्वत की…

मुख्यमंत्री ने 220 करोड़ रूपए की लागत से बन रही सिद्धबाबा सिंचाई जलाशय परियोजना का किया निरीक्षण

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ShivMay 16, 20252 min read

रायपुर।    सुशासन तिहार के अपने दौरे पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव…

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने शासकीय क्षेत्रीय मुद्रणालय के नवीन भवन का किया लोकार्पण

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ShivMay 16, 20251 min read

रायपुर।    मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज राजनांदगांव जिले…

सुशासन तिहार : मुख्यमंत्री ने बरगद पेड़ के नीचे लगाई जनचौपाल, ग्रामीणों को दी ये सौगातें…

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ShivMay 16, 20253 min read

रायपुर।    मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सहजता और सरलता से…

May 17, 2025

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IPS जीपी सिंह को हाईकोर्ट से बड़ी राहत, कोर्ट ने दर्ज एफआईआर पर लगाई रोक

बिलासपुर-   आईपीएस जीपी सिंह को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. हाईकोर्ट की डबल बेंच ने उनके खिलाफ सुपेला थाने में दर्ज एफआईआर पर रोक लगा दी है. जीपी सिंह ने इस एफआईआर को समाप्त करने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी.

जानकारी के मुताबिक, वर्ष 2015 में दुर्ग निवासी कमल सेन का बिल्डर सिंघानिया से व्यावसायिक लेन देन को लेकर विवाद हुआ था. इस दौरान सिंघानिया ने सेन के सामने आईपीएस जीपी सिंह को फोन करने की बात कही, मगर फोन पर कोई बात नहीं हुई थी. इसके 6 साल बाद 2021 में कमल सेन ने सुपेला थाने में एक एफआईआर दर्ज कराकर कहा कि जीपी सिंह ने उनसे 20 लाख की मांग करते हुए धमकी दी है. कमल सेन के आवेदन पर भिलाई के सुपेला थाना में जीपी सिंह के खिलाफ भयादोहन का अपराध दर्ज किया गया. इस एफआईआर को निरस्त करने आईपीएस सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई. चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रजनी दुबे की डीबी में मामले की सुनवाई हुई. कोर्ट ने माना कि 6 साल बाद जाकर शिकायतकर्ता ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई है जो एक काफी लम्बा समय है. इसके साथ ही किसी लोक सेवक के खिलाफ अपराधिक प्रकरण दर्ज कराने धारा 197 में अनुमति लेनी होती है, जो नहीं किया गया. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने इस एफआईआर पर रोक लगाई है.

बता दें कि आईपीएस जीपी सिंह के खिलाफ कांग्रेस शासन काल में अलग-अलग मामले में जुर्म दर्ज किया गया. उन्हें जेल भी भेजा गया और बर्खास्त कर दिया गया था. इसके खिलाफ उन्होंने कैट में अपील पेश की. कैट ने उनके पक्ष में निर्णय देते हुए राज्य शासन को उनके खिलाफ दर्ज सभी मामलों को चार सप्ताह में निरस्त कर बहाल करने का आदेश दिया है.