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मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव लालबाग में चल रहे मालवा उत्सव में हुये शामिल

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ShivMay 11, 20252 min read

भोपाल।  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव रविवार को इंदौर के ऐतिहासिक…

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव “द चेंजमेकर कॉन्क्लेव” में हुए शामिल

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ShivMay 11, 20252 min read

भोपाल।  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इंदौर में आयोजित “द चेंजमेकर कॉन्क्लेव” में विभिन्न…

उप मुख्यमंत्री अरुण साव सामूहिक आदर्श विवाह समारोह में हुए शामिल

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ShivMay 11, 20252 min read

रायपुर।    उप मुख्यमंत्री अरुण साव आज महासमुंद जिले के…

उप मुख्यमंत्री अरुण साव कर्मा माता मंदिर प्राण प्रतिष्ठा एवं सम्मान समारोह में हुए शामिल

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ShivMay 11, 20252 min read

रायपुर।  उप मुख्यमंत्री अरुण साव आज महासमुंद के बसना विकासखंड…

तेज रफ्तार स्कॉर्पियो बिजली खंभा तोड़ते हुए टकराई दीवार से, शादी से लौट रहे 7 लोग घायल…

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ShivMay 11, 20251 min read

बलौदाबाजार। छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले में आज एक भीषण सड़क दुर्घटना…

May 12, 2025

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हाईकोर्ट से बड़ी खबर : सीजीपीएससी की 40 याचिकाएं खारिज

बिलासपुर।    CGPSC 2023 की प्रारंभिक परीक्षा के नतीजों में पुनर्मूल्यांकन की मांग करते हुए लगाई गई 40 याचिकाओं को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है. पीएससी 2023 के नतीजे घोषित होने के बाद 40 अभ्यर्थियों ने पांच सवालों को लेकर पीएससी के निर्णय को गलत बताते हुए याचिका लगाई थी. मामले की सुनवाई जस्टिस सचिन सिंह राजपूत की सिंगल बेंच में हुई.

बता दें कि सीजीपीएससी ने राज्य सिविल सेवा के पदों पर भर्ती के लिए 29 नवंबर 2023 को विज्ञापन जारी किया था. 11 फरवरी 2024 को दो पालियों में प्रारंभिक परीक्षा ली गई थी, जिसके बाद मॉडल आंसर जारी किए गए थे. दावा आपत्ति के बाद संशोधित मॉडल आंसर जारी किए गए और फिर रिजल्ट जारी किया गया.

पीएससी के प्रारंभिक परीक्षा के परिणाम के आधार पर मुख्य परीक्षा के लिए चयनित नहीं हो पाए 40 परीक्षार्थियों ने पांच सवालों को लेकर पीएससी के निर्णय को गलत बताते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. इसके अनुसार संशोधित मॉडल आंसर जारी करने के बाद कुछ प्रश्नों को हटा दिया गया था. याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि यदि उन प्रश्नों को नहीं हटाया जाता तो वे मुख्य परीक्षा से वंचित नहीं होते. याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता ने कहा कि किसी विशेष प्रश्न को हटाने से अनुपातिक अंक दिए गए हैं, लेकिन यह उस अभ्यर्थी को दिया जाता है, जिसने उक्त प्रश्न का प्रयास ही नहीं किया या जिसने उक्त प्रश्न का गलत उत्तर दिया है.

मामले की सुनवाई के बाद फैसले में अदालत ने कहा कि सहानुभूति पुनर्मूल्यांकन के निर्देश देने का आधार नहीं हो सकता. अदालत ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि परीक्षार्थी परीक्षा की तैयारी में कड़ी मेहनत करते हैं पर हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि अधिकारी भी परीक्षा आयोजित करने के लिए उतनी ही मेहनत करते हैं।