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लू को लेकर स्वास्थ्य विभाग सचेत, बचाव, इलाज के लिए दिशा-निर्देश जारी, जानिए क्या है लू के लक्षण…

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ShivMar 19, 20253 min read

रायपुर।  स्वास्थ्य संचालनालय ने सभी मुख्य चिकित्सा, स्वास्थ्य अधिकारी और…

सदन में स्थानीय निकायों पर कैग की रिपोर्ट पेश

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ShivMar 19, 20252 min read

रायपुर। विधानसभा में बुधवार को स्थानीय निकायों पर महालेखाकार का प्रतिवेदन…

CM साय के निर्देश पर अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज के लिए वित्त विभाग से पुनरीक्षित प्रशासकीय को स्वीकृति

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ShivMar 19, 20253 min read

रायपुर।   मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के विशेष निर्देश और स्वास्थ्य…

IAS गौरव द्विवेदी और मनिंदर कौर द्विवेदी को मिला प्रोफार्मा पदोन्नति

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ShivMar 19, 20251 min read

रायपुर।   1995 बैच के IAS अधिकारी गौरव द्विवेदी और मनिंदर…

ICICI बैंक के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज

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ShivMar 19, 20252 min read

रायपुर।  न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी, रायपुर (छ.ग.) भारती कुलदीप के…

कोयला गैसीकरण तकनीक ऊर्जा क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है: सांसद बृजमोहन अग्रवाल

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ShivMar 19, 20252 min read

नई दिल्ली/रायपुर।   कोयला गैसीकरण तकनीक न केवल ऊर्जा क्षेत्र में…

March 19, 2025

Apni Sarkaar

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हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, संविदा और दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को चार महीने के भीतर नियमित करने का आदेश किया जारी

बिलासपुर।  नियमितीकरण की मांग को लेकर दायर याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। मामले में जस्टिस एके प्रसाद ने याचिकाकर्ताओं को चार महीने के भीतर नियमित करने का आदेश जारी किया है। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को नौकरी करते एक दशक से भी ज्यादा का समय हो गया है। लिहाजा उन्हें पर्याप्त अनुभव है। जिस पद पर काम कर रहे हैं उसी पद पर उनको नियमित किया जाए।

याचिकाकर्ता नीलिमा यादव, रश्मि नागपाल व 40 अन्य कर्मचारियों ने नियमितीकरण की मांग को लेकर हाईकोर्ट के समक्ष अपने अधिवक्ता अधिवक्ता दीपाली पाण्डेय के जरिए याचिका लगाई थी। याचिका में कहा गया कि वे सभी एनआईटी रायपुर में संविदा और दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी के रूप में काम कर रहे हैं। नियुक्ति से पहले विधिवत विज्ञापन जारी किया गया था। लिखित परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद संस्थान ने इंटरव्यू लिया और मेरिट के आधार पर नियुक्ति दी गई थी। याचिका के अनुसार जिस पद पर काम कर रहे हैं शैक्षणिक योग्यता के साथ ही पर्याप्त अनुभव भी रखते हैं और सभी कर्मचारियों को नियमित पद के विरुद्ध कार्य करते 10 साल से अधिक का समय हो गया है। लिहाजा पर्याप्त अनुभव भी उनके पास है।

मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित स्टेट ऑफ कर्नाटक विरुद्ध उमा देवी, स्टेट ऑफ कर्नाटक विरुद्ध एमएल केसरी, विनोद कुमार व अन्य विरुद्ध यूनियन ऑफ इंडिया , स्टेट ऑफ ओडिशा विरुद्ध मनोज कुमार प्रधान, श्रीपाल व अन्य विरुद्ध नगर निगम गाजियाबाद आदि आदेशों का न्यायादृष्टांत प्रस्तुत किया गया। एनआईटी के अधिवक्ता ने नियमितीकरण के लिए नियम नहीं होने की बात कही। मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को काम करते 10 से 16 साल तक का समय हो चुका है। जो कर्मचारी जिस पद पर पहले से ही काम कर रहे हैं, उसी पद के तहत इन्हें नियमित किया जा सकता है। कोर्ट ने एनआईटी को याचिकाकर्ताओं को चार महीने के भीतर नियमित करने का निर्देश दिया है।