Special Story

तीन जिलों के DSP को किया गया स्थानन्तरित, आदेश हुआ जारी

तीन जिलों के DSP को किया गया स्थानन्तरित, आदेश हुआ जारी

ShivJun 5, 20251 min read

रायपुर। गृह (पुलिस) विभाग ने दुर्ग, रायपुर और बिलासपुर के…

सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा स्थानांतरण नीति को लेकर दिशा-निर्देश किया गया जारी

सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा स्थानांतरण नीति को लेकर दिशा-निर्देश किया गया जारी

ShivJun 5, 20252 min read

रायपुर। स्थानांतरण नीति को लेकर दिशा निर्देश जारी कर दिया…

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष ने की सौजन्य मुलाकात

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष ने की सौजन्य मुलाकात

ShivJun 5, 20251 min read

रायपुर।   मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से आज उनके निवास कार्यालय…

चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर मची भगदड़ में 11 की मौत, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने जताया शोक

चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर मची भगदड़ में 11 की मौत, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने जताया शोक

ShivJun 5, 20251 min read

रायपुर।  कर्नाटक के चिन्नास्वामी स्टेडियम में हुए भगदड़ में कई…

June 5, 2025

Apni Sarkaar

जो कहेंगे सच कहेंगे

हाईकोर्ट का बड़ा फैसला : मैटरनिटी लीव है मौलिक अधिकार, गोद लेने वाली मां को भी मिलेगी 180 दिन की छुट्टी

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने मातृत्व अवकाश (Maternity leave) को लेकर ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. एक मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा है कि मां बनना किसी भी महिला के जीवन का खूबसूरत पल होता है, ऐसे में मातृत्व अवकाश छूट नहीं, बल्कि यह मौलिक अधिकार है. लीव अप्रूव करते समय जैविक, सरोगेसी और गोद लेने वाली मां में भेदभाव नहीं किया जा सकता. अवकाश से वंचित करना मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है. कोर्ट ने अपने फैसले में 2 दिन की नवजात बच्ची को गोद लेने वाली महिला अधिकारी को 180 दिन की चाइल्ड एडॉप्शन लीव देने के आदेश दिए हैं. हाईकोर्ट ने उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें सिर्फ 84 दिन की छुट्टी दी गई थी. मामले की सुनवाई जस्टिस विभू दत्त गुरु की सिंगल बेंच में हुई.

याचिकाकर्ता की वर्ष 2013 में भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम), रायपुर में नियुक्ति हुई है. वर्तमान में सहायक प्रशासनिक अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं. उनका 2006 में विवाह हुआ है. विवाह के बाद 20 नवंबर 2023 को उन्होंने दो दिन की एक नवजात बच्ची को गोद लिया. इसके बाद, याचिकाकर्ता ने 180 दिनों के लिए बाल दत्तक ग्रहण अवकाश के लिए आवेदन किया. संस्थान ने उनके छुट्टी को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि संस्थान की मानव संसाधन नीति में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है. हालांकि परिवर्तित अवकाश के लिए संस्थान की नीति अधिकतम 60 दिन का प्रावधान करती है. इसके खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका लगाकर नियम को चुनौती दी. याचिका में जस्टिस बीडी गुरु की कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि महिला के लिए मां बनना जीवन की सबसे स्वाभाविक घटना है.

महिला के लिए बच्चे के जन्म को सुविधाजनक बनाने हेतु जो कुछ भी आवश्यक है, जो सेवा में है, नियोक्ता को विचारशील और सहानुभूतिपूर्ण होना चाहिए. उसके प्रति और शारीरिक कठिनाइयों का एहसास होना चाहिए जो एक कामकाजी महिला को होती हैं. कार्यस्थल पर अपने कर्तव्यों का पालन करते समय महिलाओं को किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. याचिकाकर्ता दो दिन की एक नवजात बच्ची को गोद लिया है. कोर्ट ने कहा, दत्तक ग्रहण, संतान पालन अवकाश केवल लाभ नहीं है, बल्कि एक ऐसा अधिकार है जो किसी महिला को उसके परिवार की देखभाल करने की मूलभूत आवश्यकता को पूर्ण करता है. हाईकोर्ट ने मातृत्व अवकाश अस्वीकार करने के आदेश को निरस्त कर संस्थान को याचिकाकर्ता को 180 दिन का अवकाश देने कहा है.