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सर्पदंश मुआवजा वितरण में बड़ा फर्जीवाड़ा, वकील, डॉक्टर समेत 5 लोगों के खिलाफ FIR, जानिए पूरा मामला…

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ShivMay 8, 20252 min read

बिलासपुर।   सर्पदंश मुआवजा वितरण में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है.…

चेन स्नेचिंग की शिकार महिला ने अस्पताल में तोड़ा दम, CCTV फुटेज खंगाल रही पुलिस…

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ShivMay 8, 20251 min read

बिलासपुर। 2 दिन पहले हुई चेन स्नेचिंग की घटना में गंभीर…

बैगा समुदाय की बिटिया ने किया टॉप, मुख्यमंत्री से की मुलाकात, अच्छे अंक लाने पर किया सम्मानित

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ShivMay 8, 20252 min read

रायपुर।   राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र और विशेष पिछड़ी जनजाति समूह…

फिल्म निर्माता अनुराग कश्यप के विरुद्ध गैर-जमानती धाराओं में दर्ज होगा एफआईआर, कोर्ट ने दिया आदेश

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ShivMay 8, 20252 min read

रायपुर। ब्राह्मण समाज के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने पर फिल्म…

May 8, 2025

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हाईकोर्ट का बड़ा फैसला : मैटरनिटी लीव है मौलिक अधिकार, गोद लेने वाली मां को भी मिलेगी 180 दिन की छुट्टी

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने मातृत्व अवकाश (Maternity leave) को लेकर ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. एक मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा है कि मां बनना किसी भी महिला के जीवन का खूबसूरत पल होता है, ऐसे में मातृत्व अवकाश छूट नहीं, बल्कि यह मौलिक अधिकार है. लीव अप्रूव करते समय जैविक, सरोगेसी और गोद लेने वाली मां में भेदभाव नहीं किया जा सकता. अवकाश से वंचित करना मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है. कोर्ट ने अपने फैसले में 2 दिन की नवजात बच्ची को गोद लेने वाली महिला अधिकारी को 180 दिन की चाइल्ड एडॉप्शन लीव देने के आदेश दिए हैं. हाईकोर्ट ने उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें सिर्फ 84 दिन की छुट्टी दी गई थी. मामले की सुनवाई जस्टिस विभू दत्त गुरु की सिंगल बेंच में हुई.

याचिकाकर्ता की वर्ष 2013 में भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम), रायपुर में नियुक्ति हुई है. वर्तमान में सहायक प्रशासनिक अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं. उनका 2006 में विवाह हुआ है. विवाह के बाद 20 नवंबर 2023 को उन्होंने दो दिन की एक नवजात बच्ची को गोद लिया. इसके बाद, याचिकाकर्ता ने 180 दिनों के लिए बाल दत्तक ग्रहण अवकाश के लिए आवेदन किया. संस्थान ने उनके छुट्टी को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि संस्थान की मानव संसाधन नीति में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है. हालांकि परिवर्तित अवकाश के लिए संस्थान की नीति अधिकतम 60 दिन का प्रावधान करती है. इसके खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका लगाकर नियम को चुनौती दी. याचिका में जस्टिस बीडी गुरु की कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि महिला के लिए मां बनना जीवन की सबसे स्वाभाविक घटना है.

महिला के लिए बच्चे के जन्म को सुविधाजनक बनाने हेतु जो कुछ भी आवश्यक है, जो सेवा में है, नियोक्ता को विचारशील और सहानुभूतिपूर्ण होना चाहिए. उसके प्रति और शारीरिक कठिनाइयों का एहसास होना चाहिए जो एक कामकाजी महिला को होती हैं. कार्यस्थल पर अपने कर्तव्यों का पालन करते समय महिलाओं को किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. याचिकाकर्ता दो दिन की एक नवजात बच्ची को गोद लिया है. कोर्ट ने कहा, दत्तक ग्रहण, संतान पालन अवकाश केवल लाभ नहीं है, बल्कि एक ऐसा अधिकार है जो किसी महिला को उसके परिवार की देखभाल करने की मूलभूत आवश्यकता को पूर्ण करता है. हाईकोर्ट ने मातृत्व अवकाश अस्वीकार करने के आदेश को निरस्त कर संस्थान को याचिकाकर्ता को 180 दिन का अवकाश देने कहा है.