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तखतपुर जनपद में भाजपा का दबदबा : माधवी निर्विरोध चुने गए अध्यक्ष और राकेश उपाध्यक्ष

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ShivMar 4, 20251 min read

तखतपुर।  त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के संपन्न होते ही जनपद पंचायत…

भगोरिया को राजकीय स्तर पर उत्सव के रूप में मनाएगी सरकार : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव

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ShivMar 4, 20258 min read

भोपाल।   मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि भगोरिया…

छत्तीसगढ़ श्रमजीवी पत्रकार संघ के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री से की सौजन्य मुलाकात

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ShivMar 4, 20251 min read

रायपुर।   मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से आज यहां उनके निवास…

4 विकेट से जीतकर चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में पहुंची इंडिया, विराट कोहली का कंगारुओं के सामने गरजा बल्ला

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ShivMar 4, 20251 min read

दुबई।   चैंपियंस ट्रॉफी के सेमीफाइनल मुकाबले में भारत ने  ऑस्ट्रेलिया…

March 4, 2025

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हाईकोर्ट का बड़ा फैसला : पति की मौत के बाद तलाकशुदा पत्नी पेंशन, अनुकंपा नियुक्ति की हकदार नहीं

बिलासपुर। हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला देते हुए कहा है कि, तलाकशुदा पत्नी मृत पति की पारिवारिक पेंशन व अनुकंपा नियुक्ति की हकदार नहीं हो सकती। दरअसल कानूनी रूप से अलग हुई पत्नी ने पति की आकस्मिक मौत के बाद लाभ पाने यह याचिका पेश की थी। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि तलाक की डिक्री से पति- पत्नी के मध्य कानूनी बंधन भंग होने से मृतक के पारिवारिक पेंशन का लाभ पाने का हक समाप्त हो जाता है। कोर्ट ने कहा है कि वसीयतनामा जरूर अलग से मृतक की संपत्ति का निपटान का अधिकार देती है।

रायपुर निवासी याचिकाकर्ता महिला की वर्ष 2005 में चर्च में शादी हुई थी। उसने पारिवारिक विवाद पर परिवार न्यायालय में पति से तलाक लेने आवेदन दिया। जून 2008 में न्यायालय ने पत्नी के पक्ष में तलाक का डिक्री पारित कर पति को प्रति माह दो हजार रुपए मेंटेनेंस व्यय देने का आदेश दिया। पति-पत्नी स्थाई रूप से अलग रह रहे थे। दिसंबर 2012 में तलाकशुदा पति की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई। पति की मौत के तुरंत बाद तलाकशुदा पत्नी ने पारिवारिक पेंशन व अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन कर दिया। विभाग ने उसके तलाकशुदा होने व मृतक द्वारा सेवा पुस्तिका में भाई को नामिनी किए जाने पर महिला के आवेदन को खारिज कर दिया। इसके खिलाफ उसने याचिका पेश की थी। मामला पेचीदा होने पर कोर्ट ने न्याय मित्र की सहायता ली। 10 वर्ष की लंबी सुनवाई व सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न न्यायदृष्टांत को देखते हुए कोर्ट ने महिला की याचिका को खारिज कर दिया है।

तलाक के बाद अधिकार और दायित्व समाप्त

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि, एलआईसी पेंशन विनियमन, 1995 का नियम 2 (के) भी परिवार को परिभाषित करता है। इसमें न्यायिक रूप से अलग हुई पत्नी या पति भी शामिल है। कोर्ट ने कहा है कि न्यायिक अलगाव और तलाक यह कानून की स्थापित स्थिति है। तलाक की डिक्री पति और पत्नी के बीच के कानूनी बंधन को निर्णायक रूप से भंग कर देती है। पत्नी को उनके वैवाहिक कर्तव्यों और दायित्वों से मुक्ति करता है। तलाक के मामले में अलग होने से पत्नी की स्थिति में बदलाव आने के साथ ही विवाह और सभी पारस्परिक अधिकार और दायित्व समाप्त हो जाते हैं। हालांकि वे दोबारा शादी करने के लिए स्वतंत्र होते हैं।