कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई में भूपेश बघेल अलग-थलग पड़ गए हैं: संजय श्रीवास्तव
रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश महामंत्री संजय श्रीवास्तव ने कहा है कि कांग्रेस पार्टी में मचे घमासान के चलते पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अलग-थलग पड़ गए हैं। सत्ता में रहते हुए सत्ता व संगठन में तालमेल नहीं रहने के कारण कांग्रेस पहले भी कई गुटों में बँटी नजर आ रही थी और हालात आज भी वही, या कहें कि उससे भी बदतर, हैं। श्रीवास्तव ने कहा कि विधानसभा और लोकसभा चुनावों में करारी शिकस्त के बाद कांग्रेस की यह अंदरूनी तकरार अब मौके-बेमौके खुलकर सामने आ रही है।
भाजपा प्रदेश महामंत्री श्रीवास्तव ने कहा कि सत्ताकाल के दौरान तत्कालीन कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम और तत्कालीन मुख्यमंत्री बघेल के बीच की अंतर्कलह हो या फिर जयसिंह अग्रवाल के साथ मनभेद हो, आज के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज और पूर्व मंत्री कवासी लखमा का मनमुटाव हो, कांग्रेस संघर्ष से उबरने का नाम ही नहीं ले रही है।
मुख्यमंत्री रहते बघेल ने शक्ति प्रदर्शन करते हुए कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष के पद से मोहन मरकाम को हटाने के लिए लगातार जोड़-तोड़ करते रहे और उसमें वह कामयाब भी हो गए लेकिन उसके बाद भी कांग्रेस पार्टी में लगातार तकरार जारी रही। आज हालात ये हैं कि विधानसभा और लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के शर्मनाक प्रदर्शन की जिम्मेदारी तय तक नहीं हो रही है।
श्रीवास्तव ने कहा कि बैज और लखमा के बीच की लड़ाई तो जगजाहिर है। कैसे बैज की टिकट काटकर लखमा को दे दी गई? विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी जिस प्रकार से अंतर्द्वंद के चलते लगातार गर्त में चली गई और उससे भी तेज रफ्तार से लोकसभा चुनाव में उसे रसातल में जाना पड़ा है। कांग्रेस लगातार 5 वर्षों से अपनी अंदरूनी लड़ाई लड़ती रही।
इसकी शुरुआत ढाई-ढाई साल के मुख्यमंत्री वाले फार्मूले के साथ हुई जब भूपेश बघेल का ढाई वर्ष का कार्यकाल समाप्त हुआ तब टीएस सिंहदेव मुख्यमंत्री बनने के लिए बेताब नजर आए लेकिन भूपेश बघेल ने अपनी पहुँच का फायदा उठाते हुए सिंहदेव को मुख्यमंत्री बनने से रोक दिया। आज भूपेश बघेल की वजह से कांग्रेस पार्टी पूरी तरह बिखर चुकी है और खुद भूपेश बघेल आज अकेले पड़ गए हैं।