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January 15, 2025

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कांग्रेस ने चुनाव पूर्व बृजमोहन को “झलकी जमीन” विवाद में घेरा, कहा, जमीन रजिस्ट्री शून्य करने के कोर्ट के आदेश से सब कुछ साफ

रायपुर-  कांग्रेस ने 2009 से झलकी जमीन मामले को लेकर बृजमोहन अग्रवाल को घेरा है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज और प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने पत्रकारों से चर्चा करते हुये आरोप लगाया है कि महासमुंद जिला न्यायालय के 23 अप्रैल के फैसले से यह साफ हो गया कि भाजपा नेता बृजमोहन अग्रवाल महासमुंद के तुमगांव के ग्राम झलकी में जलाशय की जमीन को गलत तरीके से खरीदकर कब्जा किया था।

1994 में ग्राम झलकी में किसान ईश्वर प्रसाद ने अपना खं. नं. 117 रकबा 4.124 हेक्टेयर दान में भूमि जल संसाधन विभाग को जलाशय बनाने रजिस्ट्रीकृत दान पत्र के द्वारा दिया। जल संसाधन विभाग ने राजस्व प्रपत्र में नामांतरण नही करा पायी। बृजमोहन अग्रवाल राज्य में जब जल संसाधन मंत्री थे। उन्होंने पद और गोपनीयता की शपथ ली थीं।

बृजमोहन अग्रवाल ने ग्राम झलकी जिला तुमगांव महासमुंद, रिसोर्ट निजी भूमि खरीदकर बनाया। उस समय वह चूकि मंत्री थे तब उन्हे जानकारी थी कि अगल-बगल की जमीन जल संसाधन विभाग की है और जल संसाधन विभाग ने सरकारी खर्च कर जलाशय 15 एकड़ से ज्यादा भूमि में बनी हुयी है। तब बृजमोहन अग्रवाल पूर्व जल संसाधन मंत्री ने यह जानते हुये कि ईश्वर प्रसाद के दान देने के बाद जमीन के मालिक ईश्वर प्रसाद उनके वारिसान नहीं है। इस बात की जानकारी रखते हुये ईश्वर प्रसाद के मृत्यु के पश्चात उनके पुत्रों विष्णु, किशुन, कृष्ण लाल साहू के नाम राजस्व रिकार्ड में खं. नं. 117 रकबा 4.124 हेक्टेयर भूमि चढ़ाकर अपनी पत्नी सरिता अग्रवाल के खरीद लिया और शासकीय भूमि में कब्जा कर लिया।

जिला न्यायालय में यह मामला राज्य शासन की तरफ से दायर किया गया। उसमें जल संसाधन विरूद्ध विष्णु किशुन, कृष्णपाल एवं सरिता अग्रवाल पति बृजमोहन अग्रवाल के प्रकरण में 23 अप्रैल 2024 को फैसला सुनाते हुये यह आदेश दिया। प्रतिवादी 1 से 3 द्वारा सरिता अग्रवाल पति बृजमोहन अग्रवाल के पक्ष के निष्पादित पंजीकृत विक्रय पत्र 17.07.2009 को प्रारंभ से शून्य घोषित किया जाता है। सरिता अग्रवाल पति बृजमोहन अग्रवाल को भूमि का रिक्त आधिपत्य राज्य शासन को दो माह में सौंपने का आदेश दिया जाता है। कांग्रेस पार्टी मांग करती है कि इस मामले रजिस्ट्री शून्य घोषित होने के बाद इसमे संलिप्त क्रेता ओर विक्रेता के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज किया जाये।