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ShivMay 17, 20252 min read

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May 17, 2025

Apni Sarkaar

जो कहेंगे सच कहेंगे

रायपुर।  छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक एवं सदस्यगण लक्ष्मी वर्मा एवं सरला कोसरिया ने आज रायपुर स्थित महिला आयोग कार्यालय में महिला उत्पीड़न से संबंधित विभिन्न प्रकरणों की सुनवाई की. इस दौरान कई मामलों का समाधान किया गया और पीड़ित महिलाओं को राहत दिलाई गई.

15,00,000 रुपए देने पर बनी सहमति

एक प्रकरण में आवेदिका ने आरोप लगाया कि अनावेदक ने उसके साथ अन्याय किया और उसे उसकी संपत्ति का पूरा मूल्य नहीं दिया. सुनवाई के दौरान अनावेदक ने स्वीकार किया कि उसने आवेदिका को पूरी राशि का भुगतान नहीं किया है. आयोग की पहल पर अनावेदक ने 15 लाख रुपये एक माह के भीतर देने की सहमति दी. यह राशि सुलहनामे के तहत हस्ताक्षर और नोटराईजेशन के बाद दी जाएगी.

बच्चों के भरण-पोषण के लिए 5 लाख रुपये दिए

एक अन्य मामले में अनावेदक (पति) ने अपने बच्चों के भरण-पोषण के लिए 5 लाख रुपये की राशि एकमुश्त देने की सहमति दी. आयोग की पहल से यह निर्णय लिया गया, जिससे बच्चों के भविष्य को सुरक्षित किया जा सके.

जमीन बंधनमुक्त करने के लिए बैंक को पत्र

एक वृद्ध महिला ने शिकायत दर्ज कराई थी कि उसके भतीजे और बैंक मैनेजर ने फर्जी दस्तावेजों के जरिए उसकी जमीन गिरवी रखकर 10 लाख रुपये का लोन लिया. महिला आयोग की सख्त कार्रवाई के बाद बैंक ने दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई और तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया. अब आयोग बैंक को पत्र लिखकर बुजुर्ग महिला की जमीन को बंधनमुक्त करने की पहल करेगा.

आपसी सहमति से तलाक और मुआवजे का समाधान

एक अन्य मामले में दोनों पक्षों ने आपसी सहमति से तलाक लेने की सहमति जताई. अनावेदक ने दहेज का सामान लौटाने और 50 हजार रुपये दो किश्तों में देने का वचन दिया. आयोग ने मामले को नस्तीबद्ध करने का निर्णय लिया.

बुआ सास बनी दाम्पत्य जीवन में बाधा, आयोग ने भेजा नारी निकेतन

एक महिला ने आयोग में शिकायत की कि उसकी बुआ सास के हस्तक्षेप के कारण उसका वैवाहिक जीवन संकट में है. आयोग की जांच में यह स्पष्ट हुआ कि बुआ सास के कारण पति-पत्नी के बीच तनाव उत्पन्न हो रहा था. स्थिति की गंभीरता को देखते हुए आयोग ने बुआ सास को सुधरने का अवसर देते हुए एक माह के लिए नारी निकेतन भेजने का निर्णय लिया.

जातिगत टिप्पणी और अपमान का मामला

एक अन्य सुनवाई में आवेदिका ने आरोप लगाया कि अनावेदक उसके कार्यस्थल पर जातिगत टिप्पणी और अभद्रता कर रहा था. आयोग ने अनावेदक को विधिवत जवाब देने के लिए समय दिया और मामले की गहन जांच करने का आश्वासन दिया.