अवैध कॉलोनी में 31 लाख की सड़क को मंजूरी, नगर पालिका की भूमिका पर सवाल, कलेक्टर ने दिए जांच के निर्देश

महासमुंद। नगर पालिका महासमुंद एक बार फिर चर्चा में है. दरअसल, मचेवा स्थित कलेक्टोरेट कॉलोनी के सामने एक अवैध कॉलोनी में नगर पालिका ने 31.62 लाख रुपये की लागत से 400 मीटर लंबी कंक्रीट सड़क निर्माण की मंजूरी दी है. यह निर्माण वार्ड क्रमांक 28 में हो रहा है, जहां भू-माफिया और जमीन दलालों द्वारा अवैध प्लॉटिंग कर जमीन बेचे गई थी.
जानकारी के अनुसार, वर्ष 2024 में तत्कालीन कांग्रेस की नगर पालिका अध्यक्ष राशि महिलांग के कार्यकाल में इस सड़क निर्माण का प्रस्ताव पारित हुआ था. इस प्रस्ताव में यह स्पष्ट नहीं किया गया कि संबंधित क्षेत्र अवैध कॉलोनी का हिस्सा है. लोक निर्माण विभाग के इंजीनियरों द्वारा स्थल निरीक्षण और योजना तैयार करने की प्रक्रिया में इस तथ्य की अनदेखी की गई.
नगर पालिका अध्यक्ष और उपाध्यक्ष ने इसी अवैध कॉलोनी में सड़क निर्माण का भूमिपूजन और निरीक्षण भी किया है. यह कार्य यामिनी साहू के निवास से कलेक्टर कॉलोनी तक किया जा रहा है.
अवैध काॅलोनी में सड़क निर्माण से अंजान
नगर पालिका अध्यक्ष निखिलकांत साहू को वार्ड क्रमांक 28 में हो रहे सड़क निर्माण की जानकारी तो है, लेकिन यह निर्माण अवैध कॉलोनी में हो रहा है, इससे वे अंजान हैं. हैरानी की बात यह है कि वे खुद कुछ दिन पहले इसी अवैध कॉलोनी में सड़क निर्माण का भूमिपूजन कर चुके हैं. इसके ठीक दो दिन बाद नगर पालिका उपाध्यक्ष देवीचंद राठी ने भी निर्माण स्थल का निरीक्षण किया और ठेकेदार को गुणवत्तापूर्ण कार्य करने के निर्देश दिए. ऐसे में सवाल उठता है कि जब नगर पालिका अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को ही को वैध अवैध की की जानकारी नहीं है, तो फिर नगर पालिका में इससे पहले क्या-क्या हुआ और किन नियमों की अनदेखी हुई, इसका पता कैसे लगाया जाएगा?
ऐसे पहुंचाया जाता भू माफिया को फायदा
जानकारी के अनुसार, अवैध प्लॉटिंग में जब सड़क और नाली जैसी सुविधाएं जुड़ जाती हैं तो जमीन की कीमत बढ़ जाती है. जैसे 1500 रुपये वर्गफुट की जमीन सीधे 2000 रुपये वर्गफुट तक बिकने लगती है. इससे भू-माफिया को बड़ा मुनाफा होता है और आम जनता को भविष्य में मूलभूत सुविधाओं के लिए संघर्ष करना पड़ता है. दरअसल, नियमों के अनुसार नगर पालिका किसी भी अवैध कॉलोनी में तब तक मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं करा सकती, जब तक उस मकान या कॉलोनी का नियमितीकरण नहीं हो जाता. लेकिन इस मामले में नियमों की अनदेखी करते हुए महज 12 मकानों के लिए 31 लाख रुपये से अधिक की लागत से 400 मीटर लंबी सीसी सड़क का निर्माण किया जा रहा है. इससे स्पष्ट है कि नगर पालिका भू-माफिया को सीधा फायदा पहुंचाने के साथ-साथ अवैध कॉलोनी को स्थापित करने में भी अहम भूमिका निभा रही है.
कलेक्टर लिया संज्ञान
अब इस पूरे मामले पर कलेक्टर विनय कुमार लंगेह ने संज्ञान लिया है. उन्होंने सीएमओ अशोक सलामे को निर्माण की जांच करने और नियमों के विपरीत पाए जाने पर तत्काल कार्य रोकने के निर्देश दिए हैं. सीएमओ ने कहा कि यह सड़क निर्माण पिछले परिषद के प्रस्ताव के आधार पर स्वीकृत हुआ था. कॉलोनी की वैधता की जांच के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो सकेगी.