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सफाई और सुरक्षा कर्मियों को कम वेतन देने का मामला, अब आउटसोर्स एजेंसी को किया जाएगा ब्लैकलिस्ट

सफाई और सुरक्षा कर्मियों को कम वेतन देने का मामला, अब आउटसोर्स एजेंसी को किया जाएगा ब्लैकलिस्ट

ShivApr 16, 20251 min read

गरियाबंद।  जिला अस्पताल में कार्यरत सफाई और सुरक्षा कर्मियों को…

April 16, 2025

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गृह मंत्री से न्याय की गुहार: 250 किलोमीटर दूर से इंसाफ मांगने राजधानी पहुंचा युवक, कहा- झूठे केस में फंसाकर बर्बाद कर दिया गया भविष्य

रायपुर। “मैं सिर्फ 23 साल का हूं, पढ़ाई करता हूं, नौकरी भी करता हूं, लेकिन एक झूठे केस ने मेरा पूरा भविष्य अंधकार में डाल दिया है…” ये रोते हुए लगाई गई गुहार है कोरबा जिले के करण कुमार बरेठ की, जो न्याय की उम्मीद लेकर 250 किलोमीटर दूर से आज राजधानी रायपुर पहुंचा. करण का आरोप है कि उसे एक झूठे मामले में फंसाकर FIR दर्ज की गई और जेल भेज दिया गया, जबकि उस दिन वह घटनास्थल पर मौजूद ही नहीं था।

करण बरेठ का कहना है कि उसने करतला विकासखंड के कोथारी स्थित शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के प्राचार्य कमल नारायण भारद्वाज और पूर्व माध्यमिक शासकीय कोथारी प्रधानपाठक तुलाराम भारद्वाज के खिलाफ रिश्वत लेने की शिकायत की थी, जिसके बाद दोनों शिक्षकों को निलंबित कर दिया गया था. उसी का बदला लेने के लिए उसके खिलाफ षड्यंत्र रचा गया.

करण बरेठ का कहना है कि बदले की भावना से मेरे खिलाफ झूठी शिकायत की गई. बिना किसी जांच के मुझ पर FIR कर दी गई और पुलिस ने जेल भी भेज दिया. करण ने बताया कि FIR के कारण अब उसका सरकारी नौकरी में भविष्य समाप्त हो गया है. उसने कहा कि जिस तारीख को उस पर आरोप लगाया गया है, उस दिन वह घटनास्थल के आसपास भी नहीं था. यह बात CCTV फुटेज और मोबाइल नेटवर्क लोकेशन से आसानी से साबित की जा सकती है.

गृह मंत्री और सरकार से लगाई न्याय की गुहार

करण रायपुर आकर सरकार और गृह मंत्री से न्याय की गुहार लगाई है. उसका कहना है कि मामले की निष्पक्ष जांच की जाए और यदि वह निर्दोष साबित हो तो एफआईआर को हटाया जाए और झूठी शिकायत करने वालों पर कार्रवाई हो.

ये था मामला

22 अक्टूबर 2024 को कोरबा के करतला ब्लॉक के कोथारी स्कूल में पदस्थ प्राचार्य कमल नारायण भारद्वाज और प्रधानपाठक तुलाराम भारद्वाज पर आत्मरक्षा प्रशिक्षक करण बरेठ से रिश्वत मांगने का आरोप लगा था. करण ने ऑडियो-वीडियो सबूतों के साथ शिकायत की थी. जांच में दोनों शिक्षक दोषी पाए गए, इसके बावजूद विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की थी. करण बरेठ ने दो माह तक कार्रवाई का इंतजार किया, लेकिन उल्टा उसे धमकाया गया.