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ShivJun 14, 20252 min read

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ShivJun 14, 20253 min read

रायपुर। छत्तीसगढ़ में युक्तियुक्तिकरण (Rationalisation) नीति के खिलाफ शिक्षक संगठनों…

कांग्रेस के खिलाफ ED जांच पर बोले सांसद बृजमोहन अग्रवाल, “जो जैसा करेगा, वैसा भरेगा”

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ShivJun 14, 20251 min read

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रेत माफियाओं से टीआई का गठजोड़ आया सामने, SP ने एक्शन लेते हुए किया सस्पेंड

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ShivJun 14, 20252 min read

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रायपुर रेलवे स्टेशन की पार्किंग में चाकूबाजी, तीन युवकों ने पार्किंग स्टाफ पर किया हमला

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ShivJun 14, 20252 min read

रायपुर। राजधानी रायपुर के रेलवे स्टेशन की पार्किंग में शनिवार…

June 14, 2025

Apni Sarkaar

जो कहेंगे सच कहेंगे

शराब घोटाला मामले में अनवर ढेबर को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत

रायपुर। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक अहम फैसला सुनाते हुए प्रमुख आरोपी अनवर ढेबर को जमानत दे दी है। न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुयान की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया।

प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा दर्ज ईसीआईआर (ECIR) के तहत अनवर ढेबर को मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। याचिकाकर्ता ढेबर के वकील अर्शदीप सिंह खुराना ने अदालत में तर्क दिया कि पहले की ईसीआईआर के तहत अनवर ढेबर पहले ही 80 दिनों की हिरासत पूरी कर चुके हैं। वर्तमान ईसीआईआर के तहत उन्हें 8 अगस्त 2024 को गिरफ्तार किया गया था और अब तक 3 पूरक शिकायतें दायर की जा चुकी हैं, जिनमें 40 गवाहों का हवाला दिया गया है, और जांच अब भी जारी है।

ACB और EOW द्वारा दर्ज समानांतर मामले में 450 गवाह हैं, लेकिन अब तक किसी आरोप पर संज्ञान नहीं लिया गया है। लिहाजा, निकट भविष्य में मुकदमा शुरू होने की संभावना नगण्य है।

सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया यह फैसला

न्यायालय ने यह भी माना कि इस अपराध की अधिकतम सजा 7 वर्ष है और ‘सेंथिल बालाजी बनाम उप निदेशक’ के फैसले के अनुरूप यह मामला जमानत के योग्य बनता है। अदालत ने आदेश दिया कि अपीलकर्ता एक सप्ताह के भीतर विशेष अदालत के समक्ष प्रस्तुत हों, और प्रवर्तन निदेशालय की दलीलों को सुनने के बाद उन्हें कठोर शर्तों के साथ जमानत पर रिहा किया जाए।

ACB ने 17 मई को 13 अलग-अलग स्थानों पर की छापेमारी

छत्तीसगढ़ में बहुचर्चित आबकारी घोटाले की जांच अब और तेज हो गई है। भ्रष्टाचार निवारण ब्यूरो (ACB) ने 17 मई को एक अहम कदम उठाते हुए रायपुर, जगदलपुर, अंबिकापुर, दंतेवाड़ा और सुकमा जिलों में 13 अलग-अलग स्थानों पर एक साथ छापेमारी की। यह कार्रवाई पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा की कथित संलिप्तता के बाद की गई है।

ACB के अनुसार, जांच के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि तत्कालीन मंत्री लखमा ने आबकारी सिंडिकेट सदस्यों के साथ मिलकर खुद और उनके सहयोगियों को अवैध आर्थिक लाभ पहुँचाया। प्राप्त जानकारी के मुताबिक, लखमा ने काले धन को अपने नजदीकी रिश्तेदारों, दोस्तों और साझेदारों के माध्यम से छिपाया और उसका निवेश भी करवाया।

छापेमारी में 19 लाख रुपये नकद, कई महत्वपूर्ण दस्तावेज, मोबाइल फोन, इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, बैंक खातों से संबंधित जानकारियाँ और भूमि निवेश के कागजात बरामद किए गए हैं। ब्यूरो के अनुसार, जब्त सामग्रियों का विश्लेषण किया जा रहा है और कानूनी प्रक्रिया जारी है।

ED ने 28 दिसंबर को लखमा को किया था गिरफ्तार

इससे पहले, प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 28 दिसंबर को कवासी लखमा और उनके बेटे हरीश कवासी के आवासों पर छापेमारी की थी। इसके बाद 15 जनवरी को लखमा को गिरफ्तार किया गया और तब से वे रायपुर सेंट्रल जेल में बंद हैं। ED ने इस मामले में उनके खिलाफ 3773 पन्नों का आरोप पत्र (चालान) दाखिल किया है, जिसमें उन्हें 2161 करोड़ रुपये के शराब घोटाले में सिंडिकेट का प्रमुख बताया गया है।

जानिए क्या है शराब घोटला

चालान के अनुसार, लखमा को घोटाले की पूरी जानकारी थी और उन्होंने ही शराब नीति में बदलाव लाकर घोटाले को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाई। आरोप पत्र में यह भी उल्लेख है कि आबकारी विभाग के अधिकारियों को दुकान निरीक्षण से पहले वरिष्ठ अधिकारियों की अनुमति लेनी होती थी, जो इस सिंडिकेट को लाभ पहुंचाने का एक तरीका था।

ED के चालान में इस घोटाले में अब तक 21 लोगों को आरोपी बनाया गया है, जिनमें कवासी लखमा (पूर्व आबकारी मंत्री), अनवर ढेबर, अनिल टूटेजा, त्रिलोक सिंह ढिल्लन, छत्तीसगढ़ डिस्टलर, वेलकम डिस्टलर, टॉप सिक्योरिटी, ओम साईं ब्रेवरेज, दिशिता वेंचर, नेस्ट जेन पावर, भाटिया वाइन मर्चेंट, और सिद्धार्थ सिंघानिया जैसे प्रमुख नाम शामिल है। मामले की गंभीरता को देखते हुए एजेंसियाँ लगातार जांच में जुटी हुई हैं और संभावना है कि आने वाले दिनों में और बड़े खुलासे हो सकते हैं।