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March 29, 2025

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जो कहेंगे सच कहेंगे

इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय में वित्तीय अनियमितताओं और अस्थायी कुलपति की नियुक्ति में अपारदर्शिता बरतने का आरोप, कलेक्टर से की जांच की मांग

खैरागढ़।  प्रतिष्ठित इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय में एक बार फिर विवाद गहराता नजर आ रहा है. रिटायर्ड शिक्षक बी.आर. यादव, जो पहले भी विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ आवाज उठा चुके हैं, ने इस बार कुलपति की नियुक्ति, वित्तीय अनियमितताओं और अकादमिक गिरावट को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने इस संबंध में खैरागढ़ कलेक्टर चंद्रकांत वर्मा को लिखित शिकायत सौंपी और निष्पक्ष जांच की मांग की है.

निजी स्वार्थों के लिए संस्थान चलाने वाले जिम्मेदार : रिटायर्ड शिक्षक यादव 

बी.आर. यादव वही शिक्षक हैं, जिनकी भूख हड़ताल के कारण पूर्व कुलपति ममता चंद्राकर को पद से हटना पड़ा था. अब एक बार फिर उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन पर मनमानी, भ्रष्टाचार और शैक्षणिक गुणवत्ता में गिरावट का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि विश्वविद्यालय का स्तर लगातार नीचे जा रहा है, और इसके लिए वे उन लोगों को जिम्मेदार ठहराते हैं, जो संस्थान को निजी स्वार्थों के लिए चला रहे हैं.

क्या है आरोप ?

उन्होंने शिकायत में आरोप लगाया है कि वर्ष 2022 में आयोजित खैरागढ़ महोत्सव और दीक्षांत समारोह में अनधिकृत लोगों को मंच पर स्थान दिया गया था, जिससे विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची. इसके अलावा, अस्थायी कुलपति की नियुक्ति में अपारदर्शिता बरती गई, जिससे योग्य उम्मीदवारों के साथ अन्याय हुआ. साथ ही, वित्तीय अनियमितताओं और अव्यवस्थित प्रशासन के कारण विश्वविद्यालय का शैक्षणिक माहौल भी प्रभावित हुआ है.

रिटायर्ड शिक्षक ने कलेक्टर को सौंपी शिकायत 

इसी संबंध में रिटायर्ड शिक्षक बी.आर. यादव ने खैरागढ़ कलेक्टर चंद्रकांत वर्मा को जिला कार्यालय जाकर अपनी लिखित शिकायत सौंपी, जिस पर कलेक्टर ने मामले की जांच कर आवश्यक कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है. 

एडीएम ने दी सफाई, जांच की प्रक्रिया जारी

इस पूरे मामले पर एडीएम प्रेम कुमार पटेल ने बताया कि वर्ष 2022 के खैरागढ़ महोत्सव को लेकर पहले भी जांच के लिए आवेदन दिया गया था, जिसमें विस्तृत जांच प्रक्रिया चल रही थी और अब वह लगभग पूरी होने वाली है. वहीं, हाल ही में आयोजित कार्यक्रम में कुछ कमियों की ओर भी ध्यान दिलाया गया है, जिन्हें भविष्य में सुधारने का आश्वासन दिया गया है.

फिलहाल विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से इस पूरे विवाद पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन यदि जल्द ही इस पर संज्ञान नहीं लिया गया, तो विश्वविद्यालय एक और बड़े संकट में घिर सकता है.