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ShivMay 23, 20251 min read

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May 23, 2025

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जल्द पूर्ण किये जाएं सिंहस्थ 2028 से संबंधित अधोसंरचना के सभी कार्य: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव

भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि सिंहस्थ 2028 से संबंधित सभी अधोसंरचना के कार्यों को जल्द पूर्ण करना आवश्यक है। प्रत्येक कार्य की समय सीमा निर्धारित कर, गतिविधियां संचालित की जाएं। कार्यालीन प्रक्रियाओं को वर्षाकाल तक पूर्ण करना सुनिश्चित करें, जिसमें वर्षाकाल के तुरंत बाद निर्माण प्रक्रिया तत्काल आरंभ की जा सकें। नगर निगम उज्जैन, विकास प्राधिकरण सहित अन्य निर्माण ऐजेंसियों में यदि तकनीकी अधिकारी-कर्मचारियों की कमी है तो अन्य विभागों से प्रतिनियुक्ति पर लेकर यह कमी दूर की जाए। उन्होंने कहा कि श्रद्धालुओं का रेल से बड़ी संख्या में आवागमन होगा और महाकालेश्वर सहित ओंकारेश्वर तथा मंदसौर स्थित पशुपतिनाथ मंदिर भी श्रद्धालुओं के आवागमन के मुख्य केंद्र रहेंगे। अत: सड़क मार्गों के साथ-साथ रेलवे से बेहतर समन्वय सुनिश्चित करना आवश्यक है। इससे क्षेत्र में रेल यातायात को सुगम तथा श्रद्धालुओं की यात्रा को सुविधाजनक बनाने में मदद मिलेगी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव सिंहस्थ 2028 की मंत्रि- मण्डलीय समिति की तीसरी बैठक को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव की अध्यक्षता में मंत्रालय में हुई इस बैठक में उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा, राजेंद्र शुक्ल, नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह, परिवहन मंत्री उदय प्रताप सिंह, खाद्य नागरिका आपूर्ति मंत्री गोविंद सिंह राजपूत उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने सिंहस्थ 2028 में स्नान व पेयजल, सीवरेज, आवागमन, श्रद्धालुओं के आवास, कानून व्यवस्था, आवश्यक चिकित्सा सुविधा आदि के लिए की जारी व्यवस्थाओं की समीक्षा करते हुए जल संसाधन विभाग, लोक निर्माण, पर्यटन, नगरीय विकास एवं आवास विभाग द्वारा किए जा रहे कार्यों और उनकी प्रगति की जानकारी प्राप्त की। बैठक में कान्ह नदी डायवर्जन, 30 किमी घाट निर्माण, क्षिप्रा नदी में निरंतर जल प्रवाह के लिए सिलार खेड़ी सेवर खेड़ी बांध, क्षिप्रा व कान्ह नदी पर बैराजों के निर्माण की स्थिति की जानकारी प्रस्तुत की गई। इंदौर- उज्जैन मार्ग के सिक्स लेन में चौड़ीकरण, इंदौर-उज्जैन वैकल्पिक मार्ग, इंदौर-उज्जैन-ओंकारेश्वर और महेश्वर में यात्री सुविधाओं के विस्तार सहित अन्य पर्यटन सुविधाओं के निर्माण की स्थिति की भी समीक्षा की गई।