Special Story

समाधान शिविर सरकार की जवाबदेही और जनसेवा का प्रतीक – मुख्यमंत्री विष्णु देव साय

समाधान शिविर सरकार की जवाबदेही और जनसेवा का प्रतीक – मुख्यमंत्री विष्णु देव साय

ShivMay 20, 20254 min read

दुर्ग।   सरकार का काम केवल योजनाएं बनाना नहीं, बल्कि उनका…

सौतेला बाप निकला हत्यारा, 6 साल पहले बेटे की हत्या कर सेप्टिक टैंक में फेंका था शव

सौतेला बाप निकला हत्यारा, 6 साल पहले बेटे की हत्या कर सेप्टिक टैंक में फेंका था शव

ShivMay 20, 20252 min read

धमतरी। अर्जुनी थाना क्षेत्र के ग्राम भोयना में गोदाम के…

भाजपा नेता की गुंडागर्दी: नगर पालिका कार्यालय में घुसकर दस्तावेज फेंके, कर्मचारियों से की अभद्रता

भाजपा नेता की गुंडागर्दी: नगर पालिका कार्यालय में घुसकर दस्तावेज फेंके, कर्मचारियों से की अभद्रता

ShivMay 20, 20252 min read

सारंगढ़-बिलाईगढ़। नगर पालिका कार्यालय में मंगलवार को भाजपा नेता जय बानी…

May 20, 2025

Apni Sarkaar

जो कहेंगे सच कहेंगे

19 साल बाद पूर्व चिकित्सा शिक्षा संचालक डॉ. आदिले के खिलाफ कोर्ट में पेश हुआ चालान, मेडिकल कॉलेज में फर्जी तरीके से एडमिशन कराने का है आरोप…

रायपुर। स्वास्थ्य विभाग के तत्कालीन शिक्षा संचालक डॉ. एसएन आदिले के खिलाफ 19 साल बाद फर्जी तरीके से एडमिशन दिलाने के प्रकरण में कोर्ट चालान पेश किया गया है. 14 मई को करीब 100 पन्नों का चालान पेश किया गया. इसमें बताया गया है कि किस तरह से पद का दुरुपयोग करते हुए दस्तावेजों की हेराफेरी कर 2006 में जगदलपुर मेडिकल कॉलेज में प्रवेश दिलाया गया.

चालान में आरोप लगाया गया था कि डॉ. आदिले ने अपनी पुत्री और उनकी सहेलियों को फर्जी तरीके से एडमिशन कराया. शिकायत के बाद रायपुर की गोलबाजार पुलिस ने 4 साल तक जांच करने के बाद 2010 में प्राथमिकी दर्ज की. साथ ही पूरे प्रकरण की 10 साल तक जांच करने के बाद 2020 में चालान तैयार किया. लेकिन इतने साल तक जांच करने के बाद भी तकनीकी त्रुटि के चलते इसे पेश नहीं किया गया.

बता दें कि इस मामले का खुलासा डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया (डीसीआई) के पूर्व सदस्य डॉ. अनिल खाखरिया ने सूचना अधिकार कानून के तहत मिलने के बाद किया था. उन्होंने सूचना कानून के तहत प्रवेश के आधार के संबंध में जानकारी मांगी थी.

छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य शिक्षा संचालक द्वारा अखिल भारतीय कोटे में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर अपनी पुत्री और अन्य को एमबीबीएस में प्रवेश दिलाया था. जिसका खुलासा होने पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कार्रवाई करने का आदेश दिया था. इसके बाद कार्रवाई नहीं हुई थी.

सूत्रों का कहना है कि पूरे मामले में लीपापोती करने के लिए सिंडीकेट सक्रिय हो गया था. इसके चलते केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आदेश के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई थी. बता दें कि डॉ. आदिले के खिलाफ विभाग की एक महिला ने दुष्कर्म करने का आरोप भी लगाया था. हालांकि, इस प्रकरण में किसी भी तरह का साक्ष्य नहीं मिलने पर 13 मई को बरी कर दिया गया है.

25 लोगों को बनाया है गवाह

पुलिस द्वारा पेश किए गए चालान में करीब 25 लोगों को पुलिस ने गवाह बनाया है. कोर्ट में चालान पेश किए जाने के बाद जल्दी ही इसकी सुनवाई शुरू होगी. इसमें आरोपी बनाए गए स्वास्थ्य विभाग के तत्कालीन शिक्षा संचालक डॉ. एसएन आदिले सहित अन्य को समन जारी कर सुनवाई की जाएगी. साथ ही अभियोजन और बचाव पक्ष का तर्क और पेश किए गए साक्ष्य का परीक्षण किया जाएगा.