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विकसित भारत के सपने को साकार करने में युवाओं की है महत्वपूर्ण भूमिका: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़

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ShivJan 21, 20253 min read

रायपुर।     उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज राजधानी रायपुर के…

छत्तीसगढ़ स्टेट फार्मेसी काउंसिल के अध्यक्ष के खिलाफ हाईकोर्ट ने जारी किया नोटिस, जानिए क्या है मामला

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ShivJan 21, 20251 min read

रायपुर।   छत्तीसगढ़ स्टेट फार्मेसी काउंसिल के अध्यक्ष अरुण मिश्रा के…

अमर शहीद हेमू कालाणी की प्रतिमा पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने किया माल्यार्पण

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ShivJan 21, 20253 min read

भोपाल।   मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मंगलवार को उज्जैन की…

January 22, 2025

Apni Sarkaar

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मुख्यमंत्री निवास में हरेली तिहार पर छत्तीसगढ़ की समृद्ध संस्कृति का अनूठा नजारा

रायपुर।    मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के निवास कार्यालय में आज हरेली पर्व पर खेती-किसानी, कला-संस्कृति, खान-पान और वेशभूषा का अनूठा नजारा देखने को मिला। हरेली पर्व में शामिल लोग छत्तीसगढ़िया परिधान पहने लोक संस्कृति के रंग में सरोबार नजर आए। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री श्री साय एवं मंत्रीगण पारंपरिक वेशभूषा में खुमरी पहने हुए थे। छत्तीसगढ़ एक ऐसा प्रदेश है जहां हर एक अवसर और कार्यों के लिए विशेष प्रकार के पारंपरिक उपकरणों एवं वस्तुओं का उपयोग किया जाता रहा है। हरेली पर्व के मौके पर मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में इन्हीं पारंपरिक कृषि यंत्रों एवं परिधानों का नजारा देखने को मिला जो छत्तीसगढ़ की समृद्धि संस्कृति की अमूल्य धरोहर है।

काठा – इस चित्र में सबसे बाएं दो गोलनुमा लकड़ी की संरचना दिख रही है, जिसे काठा कहा जाता है। पुराने समय में जब गांवों में धान मापन के लिए तौल कांटा-बाट का प्रचलन नही था, तब काठा से धान का मापा जाता था। सामान्यतः एक काठा में चार किलो धान आता है। काठा में ही नाप कर पहले मजदूरी के रूप में धान का भुगतान किया जाता था।

खुमरी – सिर के लिए छाया प्रदान करने के लिए बांस की पतली-पतली खपच्ची से बनी, गुलाबी रंग से रंगी और कौड़ियों से सजी घेरेदार संरचना खुमरी कहलाती है। यह प्रायः गाय चराने वाले चरवाहें अपने सिर पर धारण करते हैं। जिससे धूप और बारिश से बचाव होता है। पहले चरवाहा कमरा (रेनकोट) और खुमरी लेकर पशु चराने निकलते है। कमरा जो कि जूट के रेशे से बने ब्लैंकेट नुमा मोटा वस्त्र होता था, जो कि बारिश बचने के लिए उपयोग में लाया जाता है।

कांसी की डोरी – खुमरी के बगल में डोरी का गोलनुमा गुच्छा कांसी पौधे के तने से बनी डोरी है। यह पहले चारपाई या खटिया में उपयोग होने वाले निवार के रूप में प्रयोग किया जाता है। डोरी बनाने की प्रक्रिया को डोरी आंटना कहा जाता है। बरसात के शुरुआती मौसम के बाद जब खेत के मेड़ों में कांसी पौधे उग आते है, तब उसके तने को काटकर डोरी बनाई जाती है, जो कि चारपाई बुनने के काम आती है।

झांपी – चित्र के सबसे दाएं तरफ ढक्कन युक्त लकड़ी की गोलनुमा बड़ी संरचना झाँपी कहलाती है। यह पुराने जमाने में छत्तीसगढ़ में बैग या पेटी के विकल्प के रूप में उपयोग किया जाता था। यह खासकर विवाह के अवसर पर बारात जाने के समय दूल्हे का कपड़ा, श्रृंगार समान, पकवान आदि सामग्रियां रखने का काम आता था। यह बांस की लकड़ी से बनी मजबूत संरचना होती थी, जो कई वर्षों तक खराब या नष्ट नहीं होती है।

कलारी – बांस के डंडे के छोर पर लोहे का नुकीला हुक लगाकर कलारी बनायी जाती है। इसका उपयोग धान मिंजाई के दौरान धान को उलटने-पलटने में होता है।