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मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सरलता और आत्मीयतापूर्ण वार्तालाप ने रेलयात्रियों का जीता दिल

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ShivNov 24, 20242 min read

रायपुर।     मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की रायपुर से बिलासपुर ट्रेन…

रायपुर में इस साल फरवरी से अब तक 7970 अपराध दर्ज, क्राइम के आंकड़े घटे

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ShivNov 24, 20241 min read

रायपुर।  इस वर्ष फरवरी से अब तक रायपुर जिले में…

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने काशी स्पाइन हॉस्पिटल का किया लोकार्पण

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रायपुर।    मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज राजधानी रायपुर…

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रायपुर।   मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय आज जशपुर जिले के पत्थलगांव तहसील…

November 25, 2024

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जो कहेंगे सच कहेंगे

गणतंत्र दिवस पर “मुरिया दरबार” झांकी के लिए बेटियों का दल रवाना, CM ने दी शुभकामनाएं, जनसंपर्क आयुक्त ने मुख्यमंत्री को बतायी झांकी की खासियत

रायपुर।     गणतंत्र दिवस पर इस साल राजपथ पर छत्तीसगढ़ की बस्तरिया परंपरा की झलक दिखेगी। बस्तर की मुरिया दरबार की झांकी 26 जनवरी को प्रस्त्तुत की जायेगी। झांकी में भाग लेने के लिए बस्तर की बेटियां आज दिल्ली रवाना हुई। दिल्ली रवानगी के पूर्व मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने झांकी की अगुवाई करने वाली बेटियों को अपनी शुभकामनाएं दी। उन्होंने बच्चियों से परिचय भी पूछा और आगे बढ़ने की प्रेरणा दी।

इससे पहले जनसंपर्क आयुक्त मयंक श्रीवास्तव ने गणतंत्र दिवस पर प्रदर्शित होने वाली छत्तीसगढ़ की झांकी की विशेषता और चयन प्रक्रिया के सबंध में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को जानकारी दी। मयंक श्रीवास्तव ने बताया कि पहली बार मौका है, जब मुरिया दरबार की विशेषता से पूरा देश परिचित होगा। जो बच्चियां दिल्ली रवाना हो रही है, वो सभी पारंपरिक वेशभूषा में मुरिया जनजाति का नृत्य “परब”करते हुए झांकी के आगे-आगे चलेंगी।

मुख्यमंत्री ने दिल्ली रवाना हो रही बच्चियों को संबोधित करते हुए कहा कि ये गौरव की बात है कि छत्तीसगढ़ की परंपरा का नेतृत्व करने का आपसभी को मौका मिला है। छत्तीसगढ़ की उच्च विरासत और परंपरा को पूरे देश के सामने प्रदर्शित कर आप प्रदेश का मान-सम्मान बढ़ाईये, यही कामना है।

“बस्तर की आदिम जनसंसद- मुरिया दरबार”

देश के 28 राज्यों के बीच कड़ी प्रतियोगिता के बाद छत्तीसगढ़ की झांकी “बस्तर की आदिम जनसंसद- मुरिया दरबार” का चयन हुआ है। छत्तीसगढ़ की झांकी भारत सरकार की थीम ‘भारत लोकतंत्र की जननी’ पर आधारित है। यह झांकी जनजातीय समाज में आदि-काल से उपस्थित लोकतांत्रिक चेतना और परंपराओं को दर्शाती है, जो आजादी के 75 साल बाद भी राज्य के बस्तर संभाग में जीवंत और प्रचलित है। इस झांकी में केंद्रीय विषय “आदिम जन-संसद” के अंतर्गत जगदलपुर के मुरिया दरबार और उसके उद्गम-सूत्र लिमऊ-राजा को दर्शाया गया है। मुरिया दरबार विश्व-प्रसिद्ध बस्तर दशहरे की एक परंपरा है,  जो 600 सालों से चली आ रही है। इस परंपरा के उद्गम के सूत्र कोंडागांव जिले के बड़े-डोंगर के लिमऊ-राजा नामक स्थान पर मिलते हैं। इस स्थान से जुड़ी लोककथा के अनुसार आदिम-काल में जब कोई राजा नहीं था, तब आदिम-समाज एक नीबू को राजा का प्रतीक मानकर आपस में ही निर्णय ले लिया करता था।