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ED की ECIR में दावा, कवासी लखमा को हर महीने मिलते थे 50 लाख रुपए

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ShivDec 29, 20241 min read

रायपुर।    छत्तीसगढ़ में हुआ शराब घोटाला काफी लंबे समय…

छत्तीसगढ़ में बढ़ेगी ठंड, अगले 4 दिनों में तेजी से गिरेगा पारा..

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ShivDec 29, 20241 min read

रायपुर।  छत्तीसगढ़ में आज से तापमान में गिरावट का दौर…

राजधानी की इन सड़कों पर ऑटो और ई-रिक्शा की एंट्री बैन! यातायात पुलिस ने रोडमैप किया जारी

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ShivDec 29, 20243 min read

रायपुर। राजधानी रायपुर के शास्त्री चौक पर सवारी ऑटो और ई-रिक्शा…

रायगढ़ मेडिकल कॉलेज के 50 जूनियर डॉक्टरों की नौकरी पर मंडराया खतरा, जानिए क्या है मामला…

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ShivDec 29, 20241 min read

रायपुर। लोक सेवा आयोग के जरिए रायगढ़ मेडिकल कॉलेज में नियुक्त…

पूर्व मंत्री लखमा के घर ED का छापा : 14 घंटे तक पूछताछ के बाद लौटी टीम, कई दस्तावेज जब्त

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ShivDec 29, 20241 min read

रायपुर।     प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम ने कल पूर्ववर्ती…

December 29, 2024

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प्रमोशन में आरक्षण के पूर्ववर्ती सरकार के आदेश को हाईकोर्ट ने किया पूर्णत: निरस्त…

बिलासपुर- प्रमोशन में आरक्षण मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए 2019 के राज्य सरकार के आदेश को पूर्णतः निरस्त कर दिया है. इससे पहले अदालत ने इस पर रोक लगाई थी. चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डिवीजन बेंच ने पूरे केस की सुनवाई करने के बाद अपना फैसला सुनाते हुए याचिका निराकृत कर दी है. 5 मार्च को सुनवाई पूरी होने के बाद हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था.

बता दें कि, राज्य सरकार ने 22 अक्टूबर 2019 को प्रदेश में प्रमोशन पर आरक्षण के लिए नोटिफिकेशन जारी किया था. इस नोटिफिकेशन तहत प्रथम से चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को पदोन्नति में आरक्षण का लाभ देने की बात कही गई थी. इसमें अनुसूचित जाति को 13 फीसदी, जबकि अनुसूचित जन जाति के लिए 32 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था की गई है.

नोटिफिकेशन में स्पष्ट किया गया था कि यह आरक्षण प्रथम श्रेणी के पदों से प्रथम श्रेणी के उच्च वेतनमान के पदों पर पदोन्नति होने, द्वितीय श्रेणी के पदों से प्रथम श्रेणी के पदों पर पदोन्नति और तृतीय श्रेणी के पदों पर पदोन्नत होने पर दिया जाएगा. लेकिन राज्य सरकार के इस अधिसूचना के खिलाफ रायपुर के एस. संतोष कुमार ने अधिवक्ता योगेश्वर शर्मा के माध्यम से हाईकोर्ट में चुनौती दी, साथ ही अन्य याचिकाएं लगाई गई थीं. जिसमें कहा गया कि पदोन्नति में आरक्षण सुप्रीम कोर्ट के दिशा- निर्देशों और आरक्षण नियमों के खिलाफ है, इसलिए राज्य शासन द्वारा जारी किए गए नोटिफिकेशन को निरस्त करने की मांग की गई.

2 दिसंबर 2019 को राज्य शासन की तरफ से स्वीकार किया गया कि अधिसूचना तैयार करने में गलती हुई है. कोर्ट ने इस गलती को सुधारने के लिए एक हफ्ते का समय दिया, पर कोई कार्रवाई नहीं की हुई. इसके बाद हाईकोर्ट ने अधिसूचना पर रोक लगाते हुए और सरकार को नियमों के अनुसार दो महीने के भीतर फिर से नियम बनाने को कहा.

मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं ने कहा कि राज्य सरकार ने क्वांटीफायेबल डेटा जुटाए बगैर अधिसूचना जारी कर दी थी, संविधान की धारा 14 एवं 16(4ए) एवं (4बी) के साथ ही सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के खिलाफ है. पदोन्नति में आरक्षण निर्धारित करने में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जरनैल सिंह के मामले में निर्धारित नियमों का पालन करना होगा. साथ ही 2 दिसंबर 2019 को राज्य सरकार ने माना था कि अधिसूचना जारी करने में गलती हुई है, इसे ठीक किया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं किया गया.