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मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से मध्यप्रदेश कैडर के भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारियों ने की भेंट

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एनआईटी रायपुर में भारतीय न्याय संहिता के कानूनों पर जागरूकता सेमिनार और डॉ भीमराव अंबेडकर की महानता पर आधारित भाषण प्रतियोगिता का आयोजन

रायपुर।    राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान रायपुर में दिनांक 12 अप्रैल 2024 को भारतीय न्याय संहिता 2023 के प्रासंगिक अनुभागों और नए आपराधिक कानूनों के विभिन्न प्रावधानों पर एक जागरूकता सेमिनार और टीम एन एस एस द्वारा डॉ भीमराव अंबेडकर की महानता पर आधारित भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। डॉ भीमराव अंबेडकर की जयंती हर वर्ष 14 अप्रैल को मनाई जाती है | इस समारोह के मुख्य संरक्षक एनआईटी रायपुर के निदेशक डॉ एन वी रमना राव रहे। साथ ही संरक्षक डीन (एकेडमिक्स) डॉ श्रीश वर्मा और सीडीसी के प्रमुख डॉ समीर बाजपई रहे। सेमिनार के सह-संरक्षक डीन (स्टूडेंट वेलफेयर) डॉ नितिन जैन रहे। समारोह के मुख्य वक्ता, शासकीय जे. योगानंदम छत्तीसगढ़ कॉलेज,रायपुर के विधि विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ भूपेंद्र करवंदे रहे। सेमिनार का आयोजन एनएसएस क्लब के प्रभारी डॉ गोवर्धन भट्ट और बीएनएस के नोडल ऑफिसर डॉ वाय. विजय बाबू के कुशल निर्देशन में हुआ। इस दौरान संस्थान के रजिस्ट्रार डॉ पी वाय ढेकने, फैकल्टी मेंबर्स और विद्यार्थी मौजूद रहे |

सेमिनार का शुभारंभ निदेशक डॉ एन वी रमना राव के संबोधन के साथ हुआ। उन्होंने अपने संबोधन में कहा की भारत सरकार की ओर से अधिसूचित किए गए तीनों नए कानून भारतीय न्याय संहिता,भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम आपराधिक न्याय प्रणाली के लिए अभूतपूर्व उपलब्धि है। उन्होंने पुराने ब्रिटिश काल के कानूनों की जगह नए कानून पेश करने के लिए सरकार की प्रशंसा की।

इसी क्रम में डॉ भूपेंद्र करवंदे ने अपने व्याखान में कहा की देश अमृतकाल में प्रवेश कर रहा है और इसीलिए पुरानी कानूनी व्यवस्था को बदलना आवश्यक है। उन्होंने 1 जुलाई 2024 से लागू होने वाली भारतीय न्याय संहिता के विभिन्न नए प्रावधानों के बारे में विस्तार से समझाया। उन्होंने कहा की पुरानी भारतीय दंड संहिता को बदलकर नई भारतीय न्याय संहिता को लाने का उद्देश्य दंड ना होकर न्याय प्रदान करना है ताकि अपराधी को सुधरने का मौका दिया सके क्योंकि कोई भी व्यक्ति जन्म से अपराधी नहीं होता, परिस्थितियां उसे अपराध के लिए मजबूर कर देती है। भारतीय न्याय संहिता में छोटे अपराधों के लिए सजा का प्रावधान न होकर सामुदायिक सेवा का प्रावधान किया गया है, आतंकवाद, मॉब लींच‍िंग और राष्‍ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने वाले अपराधों के ल‍िए सजा को और सख्‍त बनाया गया है, नए कानूनों में नाबाल‍िग से दुष्‍कर्म करने के दोष‍ियों को अब फांसी की सजा दी जा सकेगी. गैंगरेप के मामलों में 20 साल की कैद या आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है।

समारोह में डॉ भीमराव अंबेडकर के जीवन पर भाषण प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया जिसमे विद्यार्थियों ने बढ़ चढ़कर भाग लिया और अपने व्याख्यान के माध्यम से डॉ बी आर अम्बेडकर की उपलब्धियों और उनके द्वारा समाज सुधार के क्षेत्र में किए गए कार्यों के बारे में बताया। प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर आयुष मिश्रा, द्वितीय स्थान पर अंश श्रीवास्तव और तृतीय स्थान पर मंथन घोड़ेश्वर रहे। अंत में डॉ. गोवर्धन भट्ट ने धन्यवाद ज्ञापन देते हुए डॉ. बी.आर. अंबेडकर के जीवन पर विस्तार से चर्चा की और उनकी विभिन्न उपलब्धियों के बारे में बताया ।