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June 2, 2025

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जो कहेंगे सच कहेंगे

“युवक ने समाधान शिविर में दी अनोखी अर्जी, कहा- CM से मिलना है… चाय पर चर्चा भी करनी है!”

मुंगेली। समाधान शिविरों में आमतौर पर लोग बिजली, पानी, सड़क जैसी समस्याएं लेकर पहुंचते हैं, लेकिन इस बार मामला कुछ अलग ही निकला. समाधान शिविर में एक युवक ने अनोखी मांग रख दी. उसने “मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से सौजन्य भेंट और चाय पर चर्चा का मौका दिए जाने के लिए मांग रखी है.

बता दें, उमेश साहू ने बाकायदा लिखित पत्र में उन्होंने मुख्यमंत्री की सादगी और कार्यशैली की तारीफ करते हुए उनसे मिलने की इच्छा जताई है. उनका कहना है कि “सरकार व प्रशासन ने जिस तरह समाधान शिविरों के जरिए आम जनता तक सीधी पहुंच बनाई है, वह काबिल-ए-तारीफ है और मैं खुद इस सुशासन की मिसाल से प्रेरित हुआ हूं.”

 क्या है पूरा माजरा समझिए 

छत्तीसगढ़ सरकार के ‘समाधान शिविर’ अब केवल समस्याओं के समाधान तक सीमित नहीं रह गए हैं, बल्कि अब यह मंच लोगों की भावना और प्रेरणा की अभिव्यक्ति का भी जरिया बनते जा रहे हैं. कुछ ऐसा ही मामला मुंगेली जिले में सामने आया, जहां एक युवक ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से मिलने और उनके साथ ‘चाय पर चर्चा’ करने की बकायदा लिखित अर्जी समाधान शिविर में दी. नगर पंचायत जरहागांव के निवासी उमेश कुमार साहू ने समाधान मुंगेली विकासखण्ड के छतौना पंचायत में आयोजित शिविर के दौरान कलेक्टर महोदय को संबोधित करते हुए पत्र सौंपा. पत्र में उन्होंने न केवल जिला प्रशासन की कार्यशैली और सुशासन की सराहना की, बल्कि मुख्यमंत्री से मिलकर राज्य में चल रहे सुशासन मॉडल पर चर्चा करने की इच्छा जताई.

उमेश ने अपने आवेदन पत्र में लिखा है कि “आपने सुशासन तिहार के माध्यम से जनसुनवाई की एक नई मिसाल कायम की है, अब मेरी प्रबल इच्छा है कि मैं प्रदेश के मुखिया से मिलकर उनकी सोच और योजनाओं को प्रत्यक्ष सुन सकूं. यदि संभव हो तो एक कप चाय के साथ चर्चा करने का सौभाग्य मिल जाए, यही मेरा निवेदन है.”इस अनोखे आग्रह ने समाधान शिविर में मौजूद अधिकारियों और आमजन का ध्यान खींचा. लोग पहले तो चौंके, फिर मुस्कराते हुए बोले– “वाह, ऐसा जुनून हो तो ही कोई सुशासन की चाय पीने की सोच सकता है!”

ज्ञात हो कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सादगी, सहजता और जनता से सीधा संवाद उनकी कार्यशैली की पहचान रही है. उमेश साहू का यह आवेदन भले ही ‘अलग’ लगे, लेकिन इसमें एक युवा की सकारात्मक सोच, जनभागीदारी की भावना और शासन से जुड़ने की चाह स्पष्ट झलकती है.

अब देखना यह दिलचस्प होगा कि क्या यह चाय पर चर्चा वाकई हकीकत बनती है या नहीं.