पंजीयन विभाग में तकनीकी क्रांति : आम जनता के लिए 10 नई सुविधाएं लागू, मंत्री ओपी चौधरी ने समीक्षा बैठक में दी जानकारी

रायपुर। पंजीयन विभाग में आम जनता की सुविधा और पारदर्शिता बढ़ाने के उद्देश्य से कई बड़े बदलाव किये जा रहे हैं. पंजीयन मंत्री ओपी चौधरी ने विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ आज समीक्षा बैठक कर विगत वित्तीय वर्ष के कार्यों की विस्तृत समीक्षा की. बैठक में जिलेवार प्राप्त राजस्व, पंजीबद्ध दस्तावेजों और मुदांक एवं आरआरसी प्रकरणों पर चर्चा हुई. साथ ही फील्ड लेवल पर आ रही तकनीकी समस्याओं को लेकर सुझाव भी लिए गए.

मंत्री चौधरी ने बताया कि शासन ने नागरिकों की सहूलियत के लिए कई सुविधाएं शुरू की हैं, जैसे- होम विजिट के माध्यम से पंजीयन, तत्काल अपॉइंटमेंट की व्यवस्था, पारिवारिक दान व हकत्याग में पंजीयन शुल्क मात्र 500 रुपये तय किया गया है. इन प्रयासों का व्यापक प्रचार-प्रसार सुनिश्चित करने के लिए सभी पंजीयन कार्यालयों में फ्लैक्स और बैनर लगाने के निर्देश भी दिए गए हैं.
राज्य को मिला 2979 करोड़ का राजस्व
पंजीयन विभाग ने विगत वर्ष राज्य के लिए 2979 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया. मंत्री चौधरी ने विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों की इस उपलब्धि पर सराहना करते हुए निर्देश दिए कि कार्य में संवेदनशीलता बरती जाए तथा राजस्व अर्जन के साथ-साथ पक्षकारों के हितों का भी पूरा ध्यान रखा जाए.
मंत्री चौधरी ने जानकारी दी कि विभागीय सेटअप का पुनरीक्षण कर नए पदों का सृजन किया गया है, जिससे दस्तावेजों की जांच और पंजीयन प्रक्रिया और बेहतर हो सकेगी. आम जनता की सुविधा के लिए पंजीयन विभाग में 10 नई सुविधाएं जोड़ी जा रही हैं, जो नीचे दर्शाया गया है.
1- आधार आधारित प्रमाणीकरण सुविधा
वर्तमान में पंजीयन कार्यालय में पक्षकारों की शिनाख्त (पहचान) दो गवाहों के द्वारा की जाती है. संपत्तियों के पंजीयन में छद्म प्रतिरूपण एक बहुत आम समस्या है. अक्सर देखने में आता है कि अमुक व्यक्ति की संपत्ति दूसरे व्यक्ति ने बेच दी है. इससे वास्तविक भूमि स्वामी को सालों कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगाने पड़ते हैं. आधार लिंक होने से बायोमैट्रिक के माध्यम से पक्षकार की पहचान आधार डाटा बेस से की जाएगी.
2- ऑनलाइन सर्च एवं डाउनलोड की सुविधा
आम आदमी वर्षों की जमा पूंजी लगाकर स्वयं का घर खरीदते हैं, इसलिए संपत्ति खरीदने से पहले पूरी जांच-पड़ताल आवश्यक है. अभी रजिस्ट्री की जानकारी के लिए पंजीयन कार्यालय में स्वयं या वकील के माध्यम से उपस्थित होकर सर्च करना पड़ता है. इस प्रक्रिया को ऑनलाइन कर दिया गया है. आम आदमी के लिए यह एक जरूरी सुविधा है. संपत्ति खरीदने से पहले उसकी भली-भांति जांच-पड़ताल पक्षकार स्वयं कर सकेंगे. निर्धारित शुल्क का भुगतान कर खसरा नंबर से पूर्व की सभी रजिस्ट्रियों का ब्यौरा देखा जा सकेगा. साथ ही उसकी प्रति को डाउनलोड किया जा सकेगा.
जनता को घर बैठे सर्च की सुविधा होने से पक्षकारों को रजिस्ट्री ऑफिस में भटकना नहीं पड़ेगा. इससे आम आदमी धोखाधड़ी का शिकार होने से बच सकेगा.
3- भारमुक्त प्रमाण पत्र की सुविधा
संपत्ति के क्रय करने के पूर्व पक्षकारों को यह जानना जरूरी है कि उक्त संपत्ति पर किसी प्रकार का भार या बंधक तो नहीं है अथवा संपत्ति किसी अन्य को पूर्व में विक्रय तो नहीं की गई है. अतः पक्षकारों की सुविधा के लिए ऑनलाइन सर्च के साथ ही भारमुक्त प्रमाण पत्र ऑनलाइन जारी करने का प्रावधान किया गया है. ऑनलाइन आवेदन करने पर ऑनलाइन ही भारमुक्त प्रमाण पत्र संबंधित को उपलब्ध करा दिया जाएगा.
4- एकीकृत कैशलेस भुगतान की सुविधा
वर्तमान में रजिस्ट्री ऑफिस में पंजीयन शुल्क का भुगतान नगद किया जाता है. इसे कैशलेस बनाया गया है. स्टांप और पंजीयन शुल्क का भुगतान पक्षकार अपनी सुविधानुसार क्रेडिट/डेबिट कार्ड, पीओएस मशीन, नेट बैंकिंग अथवा यूपीआई से कर सकेंगे. पक्षकार को स्टाम्प ड्यूटी और पंजीयन फीस का भुगतान अलग-अलग करना पड़ता था, जिसमें पक्षकारों के साथ-साथ विभाग को भी कैश हैंडलिंग की समस्या होती थी. अब इंटीग्रेटेड कैशलेस पेमेंट सिस्टम से दोनों शुल्क एक साथ भुगतान हो सकेगा.
5- व्हाट्सएप मैसेज सेवाएं
आज के समय में व्हाट्सएप एक व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला मैसेजिंग प्लेटफॉर्म है. पंजीयन प्रणाली में पक्षकारों (क्रेता/विक्रेता) को व्हाट्सएप के माध्यम से नोटिफिकेशन भेजने के संबंध में व्हाट्सएप मैसेजिंग सर्विस का प्रावधान किया गया है. पक्षकारों को आवेदन प्रस्तुति, स्लॉट बुकिंग, पंजीकरण की प्रगति और पंजीकरण पूर्ण होने के संबंध में रियल टाइम जानकारी प्राप्त हो सकेगी.
6- डिजीलॉकर की सुविधा
रजिस्ट्री दस्तावेजों को भारत सरकार के डिजीलॉकर सुविधा के माध्यम से सुरक्षित स्टोर किया जा सकेगा. वर्तमान में शासन एवं निजी क्षेत्र की विभिन्न सेवाओं के लिए रजिस्ट्री पेपर की आवश्यकता पड़ती है, जिसके लिए पक्षकार को रजिस्ट्री ऑफिस आना पड़ता है. डिजीलॉकर के माध्यम से इसका एक्सेस और नकल प्राप्त किया जा सकेगा.
7- ऑटो डीड जनरेशन की सुविधा
वर्तमान पंजीयन प्रक्रिया में पक्षकार को दस्तावेज बनाने, स्टांप खरीदने, अपॉइंटमेंट लेने तथा पंजीयन के लिए प्रस्तुत करने के बीच अलग-अलग लोगों जैसे डीड राइटर, स्टांप वेंडर आदि का चक्कर लगाना पड़ता है. जनता की सुविधा के लिए रजिस्ट्री को पेपरलेस बना दिया गया है. इस प्रक्रिया में विलेख प्रारूप का चयन कर कंप्यूटर में एंट्री करने के दौरान दस्तावेज स्वतः तैयार हो जाता है और वही दस्तावेज पेपरलेस होकर उप पंजीयक को ऑनलाइन प्रस्तुत होगा. रजिस्ट्री करने के पश्चात दस्तावेज स्वतः ही ऑनलाइन प्राप्त हो जाएगा.
8- डिजीडॉक्यूमेंट की सुविधा
कई ऐसे दस्तावेज होते हैं जिसमें स्टाम्प लगाना जरूरी है लेकिन पंजीयन नहीं होता है, जैसे कि शपथ पत्र, अनुबंध पत्र. कानूनी भाषा की जटिलता के कारण लोगों को स्वयं ऐसे दस्तावेज तैयार करने में कठिनाई होती है. इसके निराकरण के लिए डिजीडॉक सेवा विकसित की गई है. इस सेवा के माध्यम से आम नागरिक दैनिक उपयोग में आने वाले दस्तावेज तैयार कर सकेंगे. डिजीडॉक सुविधा के तहत डिजिटल स्टाम्प के साथ दस्तावेज तैयार जाता है.
9- घर बैठे रजिस्ट्री की सुविधा
वर्तमान पंजीयन प्रक्रिया में पक्षकार को दस्तावेज बनाने, स्टांप खरीदने, अपॉइंटमेंट लेने तथा पंजीयन के लिए प्रस्तुत करने के बीच अलग-अलग लोगों जैसे डीड राइटर, स्टांप वेंडर आदि का चक्कर लगाना पड़ता है. जनता की सुविधा के लिए रजिस्ट्री को पेपरलेस बना दिया गया है. इस प्रक्रिया में विलेख प्रारूप का चयन कर कंप्यूटर में एंट्री करने के दौरान दस्तावेज स्वतः तैयार हो जाता है और वही दस्तावेज पेपरलेस होकर उप पंजीयक को ऑनलाइन प्रस्तुत होगा. रजिस्ट्री करने के पश्चात दस्तावेज स्वतः ही ऑनलाइन प्राप्त हो जाएगा.
10- स्वतः नामांतरण की सुविधा
अचल संपत्ति के दस्तावेजों के पंजीयन उपरांत उसे राजस्व विभाग के रिकॉर्ड में दर्ज कराने के लिए नामांतरण की कार्यवाही के लिए वर्तमान में पक्षकारों को लगभग 1 से 2 माह तक का समय लग जाता है. कुछ प्रकरणों में कई महीने भी लग जाते हैं. शासन द्वारा आम जनता की सुविधा के लिए पंजीयन के साथ ही नामांतरण के संबंध में राजस्व विभाग के साथ इंटीग्रेशन किया गया है. यह सुविधा अभी मात्र आंध्र प्रदेश, तेलंगाना एवं तमिलनाडु राज्यों में ही है तथा हरियाणा राज्य में स्वतः नामांतरण 07 दिन पश्चात होता है. पंजीयन विभाग, राजस्व विभाग एवं एनआईसी की टीम द्वारा संयुक्त रूप से इसे विकसित किया गया है. आम नागरिकों के लिए यह बहुत ही महत्वपूर्ण सुधार है. इससे पक्षकारों को बिचौलियों से मुक्ति के साथ नामांतरण की लंबी प्रक्रिया से होकर गुजरना नहीं पड़ेगा. समय एवं श्रम के साथ-साथ आर्थिक बोझ भी कम होगा.
मंत्री ओपी चौधरी द्वारा विभाग के पंजीयन अधिकारियों को इन सभी नए प्रावधानों को लागू करने के पूर्व जानकारी दी गई तथा इनके प्रभावी रूप से सफल क्रियान्वयन करने तथा आम जनता को सहयोग करने के लिए निर्देशित किया गया.