कोरबा नगर निगम सभापति निष्कासित, भाजपा के अधिकृत प्रत्याशी के विरूद्ध चुनाव लड़ना पड़ गया भारी, पार्टी ने 6 साल के लिए किया पार्टी से बाहर

कोरबा। कोरबा नगर निगम के सभापति नूतन सिंह ठाकुर को बीजेपी ने 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया है। आपको बता दे सभापति के अधिकृत उम्मीदवार हितानंद अग्रवाल के खिलाफ बीजेपी के पार्षद नूतन सिंह ठाकुर ने सभापति के लिए अपना नामांकन दाखिल कर दिया था। जिसे बीजेपी के अधिकांश पार्षदों ने अपना मत देकर सभापति बना दिया। बीजेपी के बागी प्रत्याशी के सभापति बनने के बाद पार्टी और मंत्री लखनलाल देवांगन की काफी किरकिरी हुई थी। उधर इस राजनीतिक उठापटक के बाद आज पार्टी हाईकमान ने बागी नूतन सिंह ठाकुर पर निष्कासन की कार्रवाई करते हुए पार्टी से 6 साल के लिए बाहर कर दिया है।
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के 10 नगरीय निकाय चुनाव में बीजेपी ने ऐतिहासिक जीत दर्ज कर नया रिकार्ड बनाया है। लेकिन सभापति के चयन के मामले में कोरबा नगर निगम में बीजेपी की जो किरकिरी और फजीहत हुई, वो पूरे छत्तीसगढ़ में चर्चा का विषय बन गया। दरअसल बीजेपी हाईकमान और संगठन ने पर्यवेक्षक बनाकर रायपुर विधायक पुरंदर मिश्रा को कोरबा भेजा था। पर्यवेक्षक द्वारा संगठन के फैसले के मुताबिक सभापति पद के लिए हितानंद अग्रवाल का नाम फाइनल किया गया था। इस नाम के सामने आते ही बीजेपी पार्षदों ने पर्यवेक्षक और मंत्री लखनलाल देवांगन के सामने ही जमकर विरोध प्रदर्शन कर दिया था।
पार्षदों ने एक स्वर में पर्यवेक्षक के इस निर्णय पर विरोध जताते हुए ये कह दिया था कि आप किसी भी हम पर ना थोपे। पार्षदों के इस विरोध के दौरान ही बीजेपी पार्षद नूतन सिंह ठाकुर ने बागी रूख एख्तियार करते हुए सभापति के लिए नामांकन दाखिल कर दिया गया। लिहाजा परिणाम ये रहा कि पार्षदों की नाराजगी का फायदा बागी नूतन सिंह ठाकुर को मिल गया, जबकि बीजेपी के अधिकृत सभापति के उम्मींदवार को हार का सामना करना पड़ा। चुनाव के बाद आये इस परिणाम से जहां बीजेपी में व्याप्त गुटबाजी खुलकर सामने आ गयी।
इस पूरे मामले में बीजेपी हाईकमान ने कड़ी नाराजगी व्यक्त की थी। बीजेपी के जिलाध्यक्ष मनोज शर्मा ने बगावत करने वालों पर सख्त कार्रवाई की बात कही थी। जिसके बाद आज प्रदेश महामंत्री जगदीश रामू रोहरा ने कोरबा नगर निगम के सभापति निर्वाचित नूतन सिंह ठाकुर को 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया है। पार्टी की इस कार्रवाई के बाद अब उन पार्षदों पर भी निष्कासन की तलवार लटक रही है, जिन्होने पर्यवेक्षक और मंत्री के सामने विरोध प्रदर्शन कर संगठन के निर्णय के विरोध में काम किया था।
