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पंचायत चुनाव का बहिष्कार : जावा को स्वतंत्र पंचायत नहीं बनाने से नाराज ग्रामीणों ने लिया फैसला, कई बार शासन-प्रशासन को लिख चुके हैं पत्र

आरंग।  प्रदेश में नगरीय निकाय और त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के बीच आरंग ब्लॉक के ग्राम पंचायत सकरी के आश्रित ग्राम जावा के ग्रामीणों ने चुनाव का बहिष्कार कर दिया है. दरअसल पिछले कई वर्षों से आश्रित ग्राम जावा के रहवासी प्रशासन और सरकार से मांग करते आ रहे हैं कि जावा को भी पूर्ण ग्राम बनाया जाए. यानी ग्राम पंचायत का दर्जा ग्राम जावा को भी दिया जाए. अब तक मांग पूरी नहीं होने पर ग्रामीणों ने पंचायत चुनाव में मतदान नहीं करने का फैसला लिया है.

ग्रामीण अपनी मांग को लेकर लंबे समय से प्रशासन और सरकार को पत्र के ऊपर पत्र लिखते आ रहे हैं, लेकिन प्रशासन और सरकार की ओर से उनकी मांग पर अब तक कोई विचार नहीं किया गया. ऐसे में इस बार पंचायत चुनाव के दौरान जावा गांव के मतदाताओं ने संकल्प ले लिया है कि इस बार किसी को भी वोट नहीं देंगे. इस संबंध में रायपुर कलेक्टर को पत्र लिखकर अवगत करा चुके हैं.

गांव में विकास कार्य नहीं होने से ग्रामीणों में आक्रोश

गांव के प्रमुख कन्हैया वर्मा का कहना है कि शासन प्रशासन ने ग्राम पंचायत सकरी में विकास कार्य किया है और आश्रित ग्राम जावा में विकास कार्य नहीं हो पा रहा है. विकास से ग्राम पंचायत सकरी का आश्रित ग्राम अछूता है इसलिए ग्रामीणों की बैठक कर निर्णय लिया गया है कि इस बार गांव के एक भी मतदाता मतदान नहीं करेंगे. भले उनका मतदान व्यर्थ चला जाए.

मंत्री, नेता और अफसरों से कर चुके हैं मांग

आश्रित ग्राम जावा के पंच रहे विक्रम वर्मा और बिसंबर वर्मा ने बताया कि कई सालों से ग्राम पंचायत सकरी के आश्रित ग्राम जावा को अलग कर पूर्ण ग्राम पंचायत का दर्जा देने की मांग कर रहे. इसके लिए लगातार मंत्री, नेता और अधिकारियों से मुलाकात की गई, फिर भी मांग पूरी नहीं हुई. आश्रित ग्राम जावा में लगभग 650 मतदाता हैं, जिन्होंने इस बार निर्णय लिया है कि पंचायत चुनाव में भाग नहीं लेंगे और चुनाव का बहिष्कार करेंगे.

ग्रामीणों को समझाने का प्रयास कर रहे अफसर

आरंग के अधिकारियों के साथ जावा गांव के मतदाताओं की बैठक भी हो चुकी है, जिसमें ग्रामीणों ने अधिकारियों से भी स्पष्ट कह दिया है कि जब तक जावा को पूर्ण पंचायत का दर्जा नहीं मिल जाता तब तक यहां के मतदाता आगे किसी भी चुनाव में मतदान नहीं करेंगे. हालांकि अधिकारी अपने स्तर पर ग्रामीणों को समझने का प्रयास कर रहे हैं.