एसपी की कारगर रणनीति से ढेर हुए 17 नक्सली : IPS निखिल राखेचा अबूझमाड़, सुकमा में संभाल चुके हैं मोर्चा, नक्सली इलाके में दो साल काम करने का है अनुभव
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गरियाबंद। छत्तीसगढ़ में पहली बार गरियाबंद जिले में 80 घंटे से ज्यादा समय तक पुलिस-नक्सलियों के बीच मुठभेड़ चली, जिसमें कई बड़े नक्सली लीडर भी ढेर हुए. मारे गए 16 में से 12 की पुष्टि पुलिस ने की है. अब तक 3 करोड़ 16 लाख के इनामी चेहरे सामने आए हैं. नुआपड़ा गरियाबंद धमतरी जिले में आतंक का पर्याय बन चुके डिविजन चीफ सत्यम गावड़े भी मुठभेड़ में मारा गया है. नक्सल प्रभावित नारायणपुर, सुकमा जिले में 24 महीने काम करने का अनुभव रखने वाले एसपी IPS निखिल राखेचा की रणनीति के चलते जनवरी में ही 17 नक्सली मारे गए हैं. अभी के मुठभेड़ में 16 और 3 जनवरी को एक नक्सली मारे गए हैं.
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जिले में निखिल राखेचा को एसपी का कमान देने के बाद नक्सली ऑपरेशन में सुरक्षा जवानों को बड़ी सफलता मिली है. 19 जनवरी से 22 जनवरी तक चले प्रदेश के सबसे बड़े नक्सल ऑपरेशन को एसपी राखेचा लीड कर रहे थे. 80 घंटे से ज्यादा समय तक चले इस ऐतिहासिक ऑपरेशन का परिणाम भी ऐतिहासिक था. इस ऑपरेशन में 90 लाख के इनामी चलपती जैसे बड़े कैडर के नक्सली नेता समेत कई एरिया कमांडर ढेर किए गए हैं. छत्तीसगढ़ में पहली बार किसी मुठभेड़ में सेंट्रल कमेटी मेंबर मारा गया है. ताजा ऑपरेशन में 16 शव बरामद किए गए. कुछ की शिनाख्त होना अब भी बाकी है.
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जानिए कौन कौन मारा गया, कितना था इनाम
पुलिस के मुताबिक, मारे गए नक्सलियों में चलपती सीसी मेंबर इनाम 90 लाख ,जयराम उर्फ गुड्डू ओडिशा स्टेट कमेटी मेंबर इनाम 65 लाख, सत्यम गावड़े (नुआपड़ा गरियाबंद धमतरी डिविजन कमेटी चीफ)) इनाम 65 लाख, आलोक उर्फ मुन्ना (डीव्हीसीएस ओडिशा) इनाम18 लाख, शंकर (एसीएम कालाहांडी) इनाम 13 लाख, कलमू देवे उर्फ कल्ला (जयराम का गार्ड) इनाम 13 लाख, मंजू (एससीएम सदस्य) इनाम 13लाख, रिंकी (एसीएम) इनाम 13 लाख, सुखराम (चलपती का गार्ड) इनाम 3 लाख, रामे ओयाम (एलजीएस मैनपुर) इनाम 3 लाख, जैनी उर्फ मासे (मैनपुर एलजीएस) इनाम 3 लाख , मन्नू (माड़ एरिया के कंपनी नंबर 1 का सदस्य) इनाम 14 लाख शामिल हैं.
3 जनवरी को भागने में सफल हो गए थे नक्सली
एसपी निखिल राखेचा की पोस्टिंग के बाद जनवरी माह में तीन ऑपरेशन किए गए. 3 जनवरी को नवरंगपुर जंगलों के सीमा से लगे कांडसर के जंगल में मुठभेड़ हुई थी, जहां एक नक्सली को ढेर किया गया था. इस मुठभेड़ के बाद नक्सलियों ने बेसराझर इलाके को चुना.
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महीनों से इसी डिविजन में था 90 लाख का इनामी चलपति
एसपी राखेचा ने बताया कि कई माह से नक्सली लीडर चलपती इसी इलाके में मौजूद था. वह धमतरी गरियाबंद नुआपड़ा डिविजन कमेटी में 20 से 25 नक्सलियों के साथ सक्रिय था. पंचायत चुनाव को प्रभावित करने के अलावा सामान्य मासिक बैठक की सूचना एजेंसियों के माध्यम से मिली थी. एसपी ने बताया, नक्सल ऑपरेशन सेल के साथ ऑपरेशन की रणनीति बनाई गई. इस ऑपरेशन में जिला पुलिस बल के ई 30, एसटीएफ, कोबरा 207, सीआरपीएफ 65 एवं 211 के लगभग 400 जवानों को भेजा गया था.
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भौगोलिक परिस्थितियों का आंकलन कर बनाई कारगर रणनीति
बेसराझर इलाके से होकर भालूडिगी पहाड़ के दक्षिणी क्षेत्र तराई इलाके में नक्सलियों का जमावड़ा था. नक्सलियों ने यहां अपना अस्थाई डेरा बनाया हुआ था. सर्चिंग के दरम्यान तम्बू को जवानों ने ध्वस्त किया है. यह इलाका ओडिशा सीमा से 10 किमी की दूरी पर मौजूद है. रात के अंधेरे में तीन छोर से जवानों ने घेरना शुरू किया. पहले के ऑपरेशन में नक्सली ओडिशा भाग खड़े होते थे. ऐसे में एसपी ने 19 व 20 जनवरी तक ओडिशा की जवानों की एक टुकड़ी की मदद ली, जिन्होंने नक्सलियों को ओडिशा आने से रोका. एसपी ने पहले के ऑपरेशन में हुई चूक को प्वाइंट आउट करने के साथ ही भौगोलिक हालातों को तकनीकी के माध्यम से रीड किया था.
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हथियार की तुलना में शव कम, नक्सलियों पर साथियों को ले जाने की आशंका
इस ऑपरेशन में जवानों ने दो दर्जन से ज्यादा आईईडी को डिफ्यूज किया है. एक एके 47 एवं 17 ऑटोमैटिक रायफल बरामद किया है. रोजमर्रा में उपयोग किए जाने वाले सामान, साहित्य, डायरी व पेन ड्राइव भी बरामद किया गया है. मिले हथियार की तुलना में शव की संख्या कम है. ऐसे में माना जा रहा है कि शव या घायलों को ले जाने में नक्सली सफल रहे होंगे.
आत्मसमर्पण करने पर मिलेगा सरकार की योजना का लाभ : एसपी
गरियाबंद एसपी निखिल राखेचा ने बताया, मारे गए नक्सलियों की शिनाख्त हो रही है. बच गए नक्सली आत्मसमर्पण करते हैं तो उन्हें सरकार की योजना का लाभ दिया जाएगा. घायल भी हो तो उनका पूरा उपचार पुलिस कराएगी.