Special Story

मुख्यमंत्री श्री साय ने अखिल भारतीय विद्युत मजदूर महासंघ के 18वें त्रैवार्षिक अधिवेशन को किया संबोधित

मुख्यमंत्री श्री साय ने अखिल भारतीय विद्युत मजदूर महासंघ के 18वें त्रैवार्षिक अधिवेशन को किया संबोधित

ShivApr 12, 20252 min read

रायपुर।   मुख्यमंत्री विष्णु देव साय आज राजधानी रायपुर के गुढ़ियारी…

सुशासन तिहार में अजब-गजब डिमांड : युवक ने आवेदन में लिखा – ससुराल दूर है, बाइक दिला दीजिए…

सुशासन तिहार में अजब-गजब डिमांड : युवक ने आवेदन में लिखा – ससुराल दूर है, बाइक दिला दीजिए…

ShivApr 12, 20252 min read

सरगुजा।  छत्तीसगढ़ में साय सरकार सुशासन तिहार मना रही. इस…

वाहन की ठोकर से युवा व्यापारी घायल, पुलिस आरक्षक की तत्परता से बची जान

वाहन की ठोकर से युवा व्यापारी घायल, पुलिस आरक्षक की तत्परता से बची जान

ShivApr 12, 20251 min read

बलौदाबाजार।  वाहनों की रफ्तार से आम आदमी अब डरने लगा…

April 12, 2025

Apni Sarkaar

जो कहेंगे सच कहेंगे

विदेशों में पहचान बनाने वाली छत्तीसगढ़ी कलाकार पद्म विभूषण डॉ. तीजन बाई की आवाज पड़ी फीकी, इलाज के खर्च बने पहाड़, पेंशन का मामला भी लटका

दुर्ग। छत्तीसगढ़ की पंडवानी गायन विधा को विदेशों तक पहुंचाने वाली पद्मश्री पदम् विभूषण और पद्मभूषण से सम्मानित डॉ. तीजन बाई की आवाज पर हजारों तालियां बजती थीं. लेकिन अब यह पांडवों की कथा कापालिक शैली में सुनाने वाली आवाज फीकी पड़ती जा रही है. अब शायद हमें उनकी आवाज फिर से सुनने को न मिले. क्योंकि अब तीजन बाई ने बात करना भी बंद कर दिया है. उनकी सेहत में सुधार होने की बजाए धीरे-धीरे बिगड़ रही है. ये देश की एक मात्र ऐसी महिला हैं, जिन्हें पद्मश्री, पद्म भूषण और पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया है.

दुर्ग जिले के गनियारी गांव में रहने वाली पारधी समाज से आने वाले पदम् विभूषण से सम्मानित तीजन बाई ने अपना जीवन पंडवानी गायन विधा को समर्पित कर दिया. डॉ. तीजन बाई पर रविशंकर विश्विद्यालय में शोध किये जा रहें. उन्हें डी लिट् और पीएचडी की कई उपाधिया प्रदान की गई है. बॉलीवुड उनके जीवन पर फ़िल्म बनाने के लिए 4 साल पहले अनुबंध कर चुका है. लेकिन 24 साल हो चुके छत्तीसगढ़ राज्य में पदम् सम्मानों से सम्मानित डॉ. तीजन बाई को अब तक राज्य सरकार से कोई पेंशन नहीं मिल पाया है. संस्कृति विभाग भी ऐसे कलाकरों के लिए कोई योजना नहीं बना पाया, जिनके कारण छत्तीसगढ़ को विदेशों में पहचान मिली है.

करीब डेढ़ साल से तीजन बाई लकवा होने की वजह से बिस्तर पर ही है. उनके दो महीने पहले ब्लड प्रेशर बढ़ने की वजह से बंद हुई फीजियोथैरेपी दोबारा शुरू नहीं हो सकी है. तीजन बाई की बहन रम्भा की बहू वेणु देशमुख जो उनका देखभाल करती हैं वे बताती हैं कि अब उनके इलाज में होने वाले खर्च को लेकर परेशान है. पेंशन के नाम पर पद्मविभूषण डॉ. तीजन बाई को केंद्र सरकार से 4 हजार 3 सौ 66 रुपये मिलते हैं. इलाज में होने वाला खर्च तीजन बाई की जमा पूंजी से किया जा रहा है. इधर परिवार की आर्थिक स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं है. वहीं पंडवानी की पुरोधा मानी जाने वाली डॉ. तीजन बाई के बीमार पड़ते ही उन सभी लोगों ने किनारा कर लिया जो कभी उनके बुलंदियों के दिनों में साथ हुआ करते थे.

78 वर्ष की हो चुकी डॉ. तीजन अब लोगों को पहचान नहीं पाती, लेकिन जिंदगी भर मीडिया की चकाचौंध के बीच रह चुकी कैमरे के सामने फोटो खिचंवाना नहीं भूलती. इशारों से ही सही लेकिन वे लोगों को अभिवादन भी करती हैं. डेढ़ साल पहले बीमार होने के बाद उनके अपने की लोगों ने लोगों से उनके बीमार होने की बात छिपाई क्योंकि उनके नाम से आने वाले पंडवानी के कार्यक्रम की आय से परिवार चलता था. बीएसपी में कार्यरत रही तीजन बाई को बीएसपी के पंडित जवाहर लाल नेहरू हॉस्पिटल सेक्टर नाइन में भी इलाज की सुविधा मिली.