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November 18, 2024

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नाजायज संतान को भी अनुकंपा नियुक्ति का अधिकार, बिलासपुर हाईकोर्ट का अहम फैसला

बिलासपुर।  अनुकंपा नियुक्ति को लेकर हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. जस्टिस संजय के अग्रवाल ने कहा कि भले ही याचिकाकर्ता मृतक सरकारी कर्मचारी का नाजायज पुत्र हो, वह अनुकंपा के आधार पर विचार के लिए हकदार होगा. कोर्ट ने एसईसीएल प्रबंधन को नोटिस जारी कर कहा है कि आदेश की प्रति प्राप्त होने की तारीख से 45 दिनों के भीतर आश्रित को अनुकंपा नियुक्ति देने की प्रक्रिया पूरी करें.

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि अनुकंपा नियुक्ति का उद्देश्य मृतक कर्मचारी के परिवार में अभाव और गरीबी को रोकना है. एक बार जब हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 16 में विवाह के दौरान जन्म लेने वाले बच्चे को वैध माना जाता है तो अनुच्छेद 14 के अनुरूप राज्य के लिए ऐसे बच्चे को अनुकंपा नियुक्ति का लाभ लेने से वंचित करना उचित प्रतीत नहीं होता.

बता दें कि एसईसीएल में आम गार्ड मुनिराम कुर्रे की मृत्यु 25 मार्च 2004 को हो गई थी. उसकी मृत्यु के समय ग्रेच्युटी नामांकन फॉर्म ‘एफ’ में सुशीला कुर्रे का नाम दर्ज था और पेंशन नामांकन फार्म में विमला कुर्रे का नाम था. विमला कुर्रे के साथ उनकी चार बेटियां मनीषा लाल, मंजूसा लाल, ममिता लाल, मिलिंद लाल और बेटा विक्रांत भी थे.

याचिकाकर्ता ने भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम, 1925 की धारा 372 के तहत उत्तराधिकार प्रमाण पत्र प्रदान करने के लिए आवेदन पेश किया था. मामले की सुनवाई कोरबा के प्रथम सिविल जज वर्ग एक के कोर्ट में हुई. सुनवाई के बाद कोर्ट ने भविष्य निधि 4,75,000/- और ग्रेच्युटी राशि 95,000 रुपए याचिकाकर्ता, उसकी मां और बहनों के पक्ष में प्रदान करने का आदेश दिया था. कोर्ट के आदेश के बाद सुशीला कुर्रे ने अधिनियम, 1925 की धारा 383 के तहत उत्तराधिकार प्रमाण पत्र को रद्द करने के लिए आवेदन दायर कर दिया. मामले की सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों के बीच आपसी समझौता हो गया और सुशीला ने आवेदन वापस ले लिया.

समझौते के बाद कोर्ट ने 6 मार्च 2006 को आदेश जारी कर याचिकाकर्ता, उसकी मां विमला कुर्रे और बहनों को मुनिराम कुर्रे (मृतक) का उत्तराधिकारी घोषित कर दिया. आदेश में कहा गया है कि विमला कुर्रे, मुनिराम कुर्रे की पत्नी है और सेवानिवृत्ति लाभों के उद्देश्य से याचिकाकर्ता मुनिराम कुर्रे का पुत्र है. कोर्ट ने यह भी कहा कि उपलब्ध दस्तावेजों से यह तय हो गया है कि याचिकाकर्ता विक्रांत, मुनिराम कुर्रे का विमला कुर्रे के साथ विवाह से उत्पन्न पुत्र है.

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कहा कि उत्तराधिकार न्यायालय ने पहले ही माना है कि याचिकाकर्ता विक्रांत, मुनीराम कुर्रे (मृतक) का पुत्र है, जो विमला कुर्रे के साथ विवाह के बाद हुआ था. लिहाजा आश्रित रोजगार के लिए याचिकाकर्ता का आवेदन/अभ्यावेदन एसईसीएल द्वारा अस्वीकार नहीं किया जा सकता. एसईसीएल प्रबंधन ने अपने जवाब में विमल कुर्रे को मुनीराम कुर्रे (मृतक) की दूसरी पत्नी बताते हुए कहा कि वह अपनी पत्नी के साथ वैवाहिक जीवन के दौरान दूसरी शादी नहीं कर सकता था इसलिए याचिकाकर्ता लाभ के लिए हकदार नहीं है और याचिकाकर्ता के आवेदन को सही रूप से खारिज कर दिया गया है.

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि उत्तराधिकार के मामले में उत्तराधिकार न्यायालय का निष्कर्ष और आदेश अंतिम हो गया है, जिसमें कहा गया है कि विमला कुर्रे, मुनीराम कुर्रे (मृतक) की पत्नी है और याचिकाकर्ता विक्रांत, मुनीराम कुर्रे (मृतक) का पुत्र है. लिहाजा उत्तराधिकार न्यायालय का आदेश SECL पर बाध्यकारी है.