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बस्तर संभाग में 1611 शालाओं का युक्तियुक्तकरण, बच्चों को मिलेंगी बेहतर सुविधाएं

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ShivJun 2, 20252 min read

रायपुर।   राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और शिक्षा का अधिकार अधिनियम…

काउंसिलिंग की तारीख बदली: शिक्षकों को आधार कार्ड/वोटर आईडी साथ लाना होगा अनिवार्य

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ShivJun 2, 20251 min read

रायपुर। युक्तियुक्तकरण की काउंसिलिंग की तिथि में बदलाव किया गया…

रेरा का बड़ा फैसला: प्रमोटर को 28 लाख रुपये ब्याज सहित लौटाने का आदेश, आवंटी को मिली राहत

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रायपुर। छत्तीसगढ़ रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) ने रियल एस्टेट…

कर चोरी करने वाले व्यवसायियों के विरूद्ध स्टेट जीएसटी की बड़ी कार्यवाही

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ShivJun 2, 20252 min read

रायपुर। मेसर्स अरिहंत स्टील नारायणपुर जिला नारायणपुर के व्यवसाय स्थल…

June 3, 2025

Apni Sarkaar

जो कहेंगे सच कहेंगे

विश्वविद्यालय-सरकार में समन्वय के लिए 9 यूनिवर्सिटी के लिए 7 नोडल अधिकारियों किये गये नियुक्त

रायपुर।  छत्तीसगढ़ में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में एक अभिनव प्रयोग की शुरुआत हुई है। राज्य सरकार ने उच्च शिक्षा विभाग के संचालनालय और शासकीय विश्वविद्यालयों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करने के उद्देश्य से नोडल अधिकारियों की नियुक्ति की है। इस पहल का उद्देश्य विश्वविद्यालयों में उत्पन्न होने वाली शैक्षणिक, प्रशासनिक और परीक्षा संबंधी समस्याओं का समय पर और प्रभावी समाधान सुनिश्चित करना है।

उच्च शिक्षा आयुक्त संतोष देवांगन के निर्देशन में यह व्यवस्था लागू की गई है। संचालनालय में कार्यरत अधिकारियों को राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों की जिम्मेदारी सौंपी गई है, जिससे वे संबंधित विश्वविद्यालयों की कार्यप्रणाली पर नजर रख सकें और आवश्यकतानुसार मार्गदर्शन भी प्रदान कर सकें।

नोडल अधिकारियों की प्रमुख जिम्मेदारियों में विश्वविद्यालयों से जुड़ी छात्रों की समस्याओं, परीक्षा संबंधी तकनीकी अड़चनों, अकादमिक शेड्यूल के पालन, और प्रशासनिक गतिविधियों की निगरानी शामिल है। साथ ही, यह अधिकारी विश्वविद्यालयों से आने वाली शिकायतों का त्वरित निराकरण करने में भी सहायता करेंगे। इससे यह अपेक्षा की जा रही है कि छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान अब अधिक पारदर्शिता और दक्षता के साथ होगा।

इस प्रणाली के लागू होने से संचालनालय और विश्वविद्यालयों के बीच संवाद और तालमेल बढ़ेगा, जिससे नीतियों का बेहतर क्रियान्वयन संभव हो सकेगा। इससे छात्रों की सुविधा भी बढ़ेगी, क्योंकि अब उन्हें अपनी समस्याओं के समाधान के लिए लंबे समय तक इंतजार नहीं करना पड़ेगा।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह पहल राज्य में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने में एक मील का पत्थर साबित हो सकती है। यदि यह प्रयोग सफल होता है तो इसे आगे चलकर निजी विश्वविद्यालयों या अन्य शैक्षणिक संस्थानों तक भी विस्तार दिया जा सकता है।

उच्च शिक्षा विभाग की यह पहल यह दर्शाती है कि छत्तीसगढ़ सरकार न केवल नीतियां बना रही है, बल्कि उनके क्रियान्वयन और निगरानी के लिए भी ठोस ढांचा तैयार कर रही है। इससे न केवल विश्वविद्यालयों की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता आएगी, बल्कि छात्रों का भरोसा भी संस्थागत व्यवस्था पर मजबूत होगा।